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आर्मी की महिला अफ़सरों को उनका अधिकार देने में भारत सरकार और देर करने वाली है?

-लल्लनटॉप,  भारतीय थल सेना में महिला अफ़सरों को परमानेंट कमीशन मिलने में थोड़ा समय और लग सकता है. फरवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिए थे कि सेना में महिलाओं को परमानेंट कमीशन दिया जाए. आदेश था कि तीन महीने के भीतर उन महिला अफसरों को परमानेंट कमीशन दिया जाए, जो इसे चुनना चाहती हैं. मियाद पूरी हो गयी. कोरोना और लॉकडाउन जैसी चीज़ें सिर पर. फ़ैसला लागू...

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यूपी में प्राइवेट लैब 25 सौ रुपये में करेंगी कोरोना की जांच

-इंडिया टूडे, उत्तर प्रदेश सरकार ने निजी क्षेत्र की प्रयोगशालाओं द्वारा कोरोना संक्रमण की एकल चरण जांच के लिए अधिकतम फीस 2,500 रुपये निर्धारित की है. मांगे जाने पर इन प्रयोगशालाओं को गुणवत्ता ऑडिट के लिए नमूने चिकित्सा महाविद्यालयों तथा रेफरल प्रयोगशालाओं को उपलब्ध कराना होगा. अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने इस आशय का शासनादेश गुरुवार (18 जून) को जारी किया. शासनादेश में इस बात का जिक्र है कि...

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14 गांवों के हजारों आदिवासियों को जल-जंगल-जमीन से बेदखल कर रही गुजरात सरकार

-जनज्वार,   गुजरात में नर्मदा जिले में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के आसपास की केवड़िया कॉलोनी विस्तार में विकास के नाम पर 14 गांव को जबरन खाली करा बाड़ लगाने पहुंची सरकारी टीमों और पुलिस वालों का आदिवासी समुदाय के लोगों ने विरोध किया। इस विरोध के चलते लगभग 100 आदिवासी नेताओं और आंदोलनकारियों को पुलिस ने शनिवार 30 मई को अपनी हिरासत में ले लिया। इनमें कांग्रेस के 8 विधायक शामिल हैं।...

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क्या सुप्रीम कोर्ट अनुसूचित जनजातियों को मिले अधिकारों को बोझ समझता है?

-द वायर, चेबरोलू लीला प्रसाद और अन्य बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का हालिया फैसला हमें एक बार फिर यह दिखाता है कि भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची, जिस पर आदिवासी अधिकारों की रक्षा करने का दायित्व है, को कितना कम समझा गया है. राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के शिक्षकों को शत प्रतिशत आरक्षण देने के वर्ष 2000 के...

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अरुधंति रॉय: क्षितिज पर मदद का कोई निशान नज़र नहीं आता

प्यारे दोस्तो, साथियों, लेखको और फ़नकारो! यह जगह जहां हम आज इकठ्ठा हुए है, उस जगह से कुछ ज़्यादा फ़ासले पर नहीं है जहां चार दिन पहले एक फ़ासिस्ट भीड़ ने— जिसमें सत्ताधारी पार्टी के नेताओं से भाषणों की आग भड़क रही थी, जिसको पुलिस की सक्रिय हिमायत और मदद हासिल थी, जिसे रात-दिन इलेक्ट्रॉनिक मास-मीडिया के बड़े हिस्से का सहयोग प्राप्त था, और जो पूरी तरह आश्वस्त थी कि अदालतें...

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