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'कोविड-19 से उबरने के बाद छह माह से गंध व स्वाद मुक्त जीवन जी रहा हूं मैं'

-डाउन टू अर्थ, लगभग दो सौ दिनों से मैं दो मौलिक इंद्रियों, गंध और स्वाद के बिना जी रहा हूं, ये दोनों इंद्रियां आपस में अंतरग रूप से जुड़ी हैं। इस साल अप्रैल के अंत में मेरा, पत्नी और बेटी का कोविड-19 टेस्ट पॉजिटिव आया था। जहां तक मुझे याद है, मई के पहले सप्ताह में मेरा स्वाद और गंध चली गई। जैसा कि मैं लिख रहा हूं-अभी तक ये दोनों वापस...

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महासागरों में समा रहा है कोविड-19 का 80 लाख टन से अधिक प्लास्टिक कचरा

-डाउन टू अर्थ, कोविड-19 से संबंधित प्लास्टिक का कचरा 21वीं सदी में हमारे सामने आने वाली एक बहुत बड़ी समस्या है। इससे निपटने के लिए बहुत सारे तकनीकी नवीनीकरण, अर्थव्यवस्था और जीवन शैली में बदलाव की आवश्यकता है। दुनिया भर में, कोविड-19 महामारी ने फेस मास्क, दस्ताने और फेस शील्ड जैसे एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक की मांग में वृद्धि की है। इनमें से अधिकतर कचरा, नदियों और महासागरों में समा...

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बीते एक दिन में देश में कोविड-19 संक्रमण के 10,929 नए मामले और 392 मरीज़ों की मौत

-द वायर, भारत में शनिवार को कोविड-19 के 10,929 नए मामले सामने आने के बाद संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 3,43,44,683 हो गई. वहीं,  पिछले 24 घंटों में संक्रमण से 392 और मरीजों की मौत के बाद मृतक संख्या बढ़कर 4,60,265 हो गई. अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, इस बीच पूरी दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 24,91,35,593 हो गए...

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उत्तर प्रदेश के कोविड-19 संकट पर जारी आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट असलियत से परे है

-द वायर, आईआईटी कानपुर ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसका शीर्षक ‘कोविड संग्राम, यूपी मॉडल: नीति, युक्ति और परिणाम’ है. इस रिपोर्ट में कोविड-19 संकट से निपटने के संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार की तारीफों की झड़ी लगाई गई है. 100 पन्नों से कुछ बड़ी यह रिपोर्ट अंग्रेजी व हिंदी में उपलब्ध है. यह रिपोर्ट मनिंद्र अग्रवाल द्वारा लिखी गई है जो महामारी से पहले ‘कॉम्पलेक्सिटी थ्योरी’ पर...

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कोविड महामारी ने पहले से हाशिये पर पड़े एलजीबीटीक्यूआई+ समुदाय की पीड़ा को और बढ़ाया है

-द वायर, अभिजीत केरल के तिरुवनंतपुरम में बतौर रेडियो जॉकी काम कर रहे थे जब बीते वर्ष मार्च में कोविड-19 महामारी ने भारत में दस्तक दी थी, जिसने सरकार को देशव्यापी लॉकडाउन लगाने के लिए प्रेरित किया था. लॉकडाउन के चलते अभिजीत अपने घर ग्रामीण पत्तनमतिट्टा जिला लौट आए, जहां उनके माता-पिता एक संयुक्त परिवार में दादा-दादी, चाचा और चचेरे भाइयों के साथ रहते हैं. होमोफोबिक रिश्तेदार और चचेरे भाई-बहनों के साथ...

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