-जनपथ, कृषि कानूनों के खिलाफ और किसान आंदोलन के समर्थन में कांग्रेस सहित प्रमुख विपक्षी दलों ने संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने का फैसला किया है। बहिष्कार करने वाले कुल 16 राजनीतिक दल हैं: कांग्रेस पार्टी, एनसीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, डीएमके, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, सीपीआइ, सीपीएम, आरएसपी, पीडीपी, एआइयूडीएफ सहित कई अन्य राजनीतिक दल। इन दलों ने एक संयुक्त बयान जारी किया है।...
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आंदोलन लोरी नहीं है, वह सत्ता को झकझोरने के लिए ही किया जाता है
-द वायर, जो तय नहीं हुआ था, वह नहीं किया जाना चाहिए था. यह एक सामान्य स्वीकृत सिद्धांत है. लेकिन ऐसा अगर नहीं हुआ तो इसके लिए कौन सी परिस्थितियां जिम्मेदार हैं उनके बारे में बात किए बिना किसी घटना को समझा नहीं जा सकता. 26 जनवरी को किसान आंदोलन में शामिल लोगों के एक हिस्से ने तय रास्ते से अलग हटकर ट्रैक्टर जुलूस निकाला और दिल्ली के अलग अलग रास्तों से...
More »वित्तीय बाध्यताओं की वजह से बजट में बड़े आयकर राहत की ज्यादा उम्मीद न करें
-द प्रिंट, कृषि कानूनों के खिलाफ और किसान आंदोलन के समर्थन में कांग्रेस सहित प्रमुख विपक्षी दलों ने संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने का फैसला किया है। बहिष्कार करने वाले कुल 16 राजनीतिक दल हैं: कांग्रेस पार्टी, एनसीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, डीएमके, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, सीपीआइ, सीपीएम, आरएसपी, पीडीपी, एआइयूडीएफ सहित कई अन्य राजनीतिक दल। इन दलों ने एक संयुक्त बयान जारी किया...
More »किसानों की आय दोगुनी करने का पीएम मोदी का वादा कैसे होगा पूरा?
-बीबीसी, लॉकडान के दौरान जब 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी 23.9 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत गिरी तो कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था को राहत देने वाला क्षेत्र था. लेकिन इससे भारत के अधिकतर किसानों की आमदनी पर कोई फर्क नहीं पड़ा. भारत के प्रधानमंत्री का साल 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा भी अब दूर का सपना ही लगता है. सरकार की नीतियों का असर क्या आगामी बजट में...
More »‘देवो हिंसा हिंसा न भवतिः’
-न्यूजक्लिक, दो महीने के बाद देश के मध्यम वर्ग व मुख्यधारा की मीडिया को कानून, संविधान, हिंसा, नैतिकता जैसी तमाम बातें एकाएक याद आ गईं जब 26 जनवरी को आईटीओ और लालकिला पर कुछ किसानों ने उपद्रव कर दिया। देश का मध्यम वर्ग इस बात से बहुत आहत हो गया है कि किसानों ने लाल किले पर तिरंगा की जगह खालिस्तानी झंडा फहरा दिया (जो तथ्यात्मक रूप से झूठ और गलत...
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