सत्य अनुभव की चीज है, तथ्य आकलन की. तथ्य यह है कि भारत के भीतर एक वंचित भारत रहता है और सत्य यह कि इस वंचित भारत का निर्माण उसे जीवन जीने के लिए जरूरी बुनियादी सेवाओं-सुविधाओं से बेदखल करके हुआ है. बुनियादी सेवा-सुविधाओं से बेदखली के विराट आयोजन का ही नतीजा है कि इस मामले में देश के कुछ समुदाय शेष की तुलना में कोसों पीछे हैं. मिसाल के...
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हम गंदा न करें तो साफ ही है गंगा - अनिल प्रकाश
केंद्र की नई सरकार ने गंगा नदी से जुडी समस्याओं पर काम करने का फैसला किया है। तीन-तीन मंत्रालय इस पर सक्रिय हुए हैं। एक बार पहले भी राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में गंगा की सफाई की योजना पर बड़े शोर-शराबे के साथ काम शुरू हुआ था। गंगा एक्शन प्लान बनाया गया था। मनमोहन सिंह सरकार ने भी गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित कर दिया। लेकिन अब तक लगभग...
More »स्त्री सशक्तीकरण की शर्तें- विकास नारायण राय
जनसत्ता 16 जून, 2014 : बलात्कार और हत्या पर राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए बदायूं के कटरा सादतगंज गांव में पहुंचने वाले राजनीतिकों को उपेक्षा से नहीं लेना चाहिए। न इस जमात के दूर से ऊलजलूल अर्द्ध-सत्य बोलने वालों को। दरअसल, इन सतही कवायदों में स्त्री-सशक्तीकरण के पैरोकारों के लिए एक निहित संदेश है- स्त्री-विरुद्ध हिंसा के मसलों पर समग्र राजनीतिक एजेंडे की सख्त जरूरत है। मीडिया, एनजीओ और कानून...
More »ज़मीन आदिवासियों की, क़ब्ज़ा किसी और का!- आलोक प्रकाश पुतुल
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ के मीलूपारा की जानकी के लिए अपनी ज़मीन से पूरे 14 साल दूर रहना किसी वनवास से कम नहीं था. 14 साल तक तहसीलदार से लेकर हाईकोर्ट तक चली लड़ाई के बाद अब कहीं जा कर उनकी चार एकड़ ज़मीन वापस करने की प्रक्रिया शुरू की गई है. हल्का पटवारी द्वारा अदालत में प्रस्तुत अपने 5 जनवरी 2012 के जांच रिपोर्ट में बताया गया कि जानकी बाई की ज़मीन...
More »दामोदर की जीवन रेखा को चाहिए जीवन दान- उमा(धनबाद)
-आजाद भारत की प्रथम बहु-उद्देशीय नदी परियोजना दामोदर घाटी निगम पर संकट के बादल- बाढ़ जैसी भीषण प्राकृतिक आपदा को नियंत्रित करते हुए जीवन को रोशन करने के मकसद से 66 साल पहले 7 जुलाई, 1948 को अस्तित्व में आयी आजाद भारत की प्रथम बहु-उद्देशीय नदी परियोजना दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) की जीवन रेखा आज जीवन दान के लिए तरस रही है. 27 मार्च, 1948 को डीवीसी का गठन भारत के संसद...
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