परंपरा की दुहाई देते हुए या आस्था की बात करते हुए क्या समाज के एक हिस्से के साथ प्रगट भेदभाव किया जा सकता है? यह मसला महिलाओं के प्रार्थना-स्थल तक या उसके सबसे ‘पवित्र हिस्से' तक पहुंचने के बहाने उठता रहा है। अभी ज्यादा दिन नहीं बीते, जब महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले का शनि शिंगनापुर मंदिर हंगामे की वजह बना। पुणे के एक सामाजिक संगठन की महिलाओं ने वहां पहुंच...
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उत्तर प्रदेश में भुखमरी का जिम्मेदार कौन?-- ज्यां द्रेज
बुंदेलखंड, या कहें कि यूपी वाले बुंदेलखंड से आ रही खबरें बहुत डरावनी हैं. योगेंद्र यादव के नेतृत्व में स्वराज अभियान के तहत कराए गए एक रैपिड सर्वे के साक्ष्य कहते हैं कि इलाका अकाल की दशा की तरफ बढ़ रहा है. मसलन, सर्वेक्षण में नमूने के तौर पर चुने गए 38 प्रतिशत गांवों में बीते आठ महीने में भुखमरी या कुपोषण से एक ना एक व्यक्ति की मौत हुई है. ग़रीब...
More »27 फीसदी प्रोटीन वाले तिवरा पर मिलावटखोरी का डंडा
गौतम चौबे/रायपुर। गरीबों के प्रोटीन तिवरा (लाखड़ी) में हानिकारक तत्व नहीं होने के बावजूद उस पर खाद्य सुरक्षा का डंडा चल रहा है। आज तक किसी भी वैज्ञानिक ने तिवरा के हानिकारक होने की पुष्टि नहीं की है। नागपुर के समाजसेवी शांति लाल कोठारी ने तिवरा को लेकर उच्च अदालत तक केस लड़ा है और इसके हानिकारक होने की पुष्टि करने वाले को एक लाख रुपए इनाम देने की घोषणा...
More »कानूनों पर ठीक से अमल हो तो बदलना ही क्यों पड़े? - संतोष कुमार
जिस जल्दबाजी के साथ हम कानूनों में संशोधन कर लेते हैं, उससे साफ होता है कि हम अपने कानूनों को बहुत गंभीरता से नहीं लेते। 2013 और 2015 में क्रिमिनल लॉ या जुवेनाइल जस्टिस कानून में किया गया गया बदलाव इसी बात को साबित करता है। 2013 में बदलाव तब हुआ, जब निर्भया के साथ ज्यादती हुई और 2015 में तब जबकि उसके साथ बर्बरता से पेश आने वाला किशोर...
More »मौलिक अधिकार से वंचना क्यों?- पवन के वर्मा
मेरी दृष्टि में जान-बूझ कर बड़ी चालाकी से भारत के संविधान का उल्लंघन किया जा रहा है. संविधान सभा में लंबी बहसों के बाद हमारे राष्ट्र-निर्माताओं ने भारत को सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार देने का निर्णय किया था. इसका अर्थ यह है कि 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी भारतीय नागरिक मतदान के अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं. इसी तरह यह अधिकार भी दिया गया कि योग्य आयु का...
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