पुलिस की कठोर, उबाऊ और यांत्रिक दैनंदिनी में कई बार आपका साबका मानवीय जीवन के ऐसे कारुणिक पक्ष से पड़ता है कि आप अंदर-बाहर भीग जाते हैं। बरसों तक वे आपकी स्मृति का अंग बने रहते हैं। ऐसा ही एक अनुभव 1989 के इलाहाबाद कुंभ के दौरान मुझे हुआ था। हर 12 साल पर लगने वाले कुंभ के दौरान माघ (जनवरी-फरवरी) महीने में गंगा-यमुना के संगम तट पर एक अद्भुत...
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बहुत कठिन है खेती की राह..जानिए कैसे
भारत में किसानों की दशा दशकों तक नजरअंदाज किये जाने के कारण अब बुरी तरह बिगड़ चुकी है. सरकार ने खेतिहरों की आय दोगुना करने तथा उपज का उचित दाम दिलाने का वादा किया है, जिसे पूरा करने की दिशा में इस साल कुछ ठोस कोशिश की उम्मीद है. खेती को फायदेमंद पेशा बनाने, फसलों के सही मूल्य दिलाने, कर्ज से राहत आदि की प्राथमिकताएं इस साल हैं. इस संबंध...
More »नये साल में विकास की चुनौतियां-- मणीन्द्र नाथ ठाकुर
बिहार और झारखंड जैसे राज्यों के सामने आनेवाले साल में क्या चुनौतियां हैं? विडंबना यह है कि प्राकृतिक संपदा और उपजाऊ जमीन के बावजूद ये राज्य भारत के सबसे गरीब राज्यों में आते हैं. कमाल की बात यह है कि यहां के मानव संसाधन का लोहा दुनिया मानती है. कई विद्वानों के लिए यह एक पहेली है. मुझे याद है कि लंदन स्कूल ऑफ इकोनाॅमिक्स के प्रो जॉन हैरिस ने...
More »असम में प्रकाशित हुआ NRC का पहला मसौदा, 1.90 करोड़ को मिला स्थान
कोलकाता। असम में नए साल के पहले दिन बहुप्रतीक्षित नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) का पहला मसौदा जारी किया गया। इस मसौदे में 1.90 करोड़ लोगों को स्थान मिला है। राज्यभर में बेहद कड़ी सुरक्षा के बीच रविवार आधी रात को मसौदे को प्रकाशित किया गया। एनआरसी में नाम शामिल कराने के लिए 3.28 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था। उनके दस्तावेजों की सत्यता की जांच करने के बाद अब...
More »कैसे रुकेंगे सड़क हादसे-- देवेन्द्र जोशी
एक आकलन के मुताबिक आपराधिक घटनाओं की तुलना में पांच गुना अधिक लोगों की मौत सड़क हादसों में होती है। कहीं बदहाल सड़कों के कारण तो कहीं अधिक सुविधापूर्ण अत्याधुनिक चिकनी सड़कों पर तेज रफ्तार अनियंत्रित वाहनों के कारण ये हादसे होते हैं। दुनिया भर में सड़क हादसों में बारह लाख लोगों की प्रतिवर्ष मौत हो जाती है। इन हादसों से करीब पांच करोड़ लोग प्रभावित होते हैं। भारत में...
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