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देश में 21 फीसदी बढ़ सकता है बासमती चावल का उत्पादन

इस खरीफ सीजन में बासमती चावल का उत्पादन 21 फीसदी बढ़ सकता है। अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के मुताबिक चालू सीजन में बासमती चावल का उत्पादन बढ़कर 80 लाख टन पहुंच सकता है। पिछले खरीफ सीजन में 66 लाख टन उत्पादन हुआ था। संघ के अनुमान के अनुसार अनियमित बारिश की वजह से देश के किसानों ने गैर बासमती की जगह बासमती की बुआई की है। दरअसल बासमती की...

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आेपन टेंडर से ही खरीदे जाएं बीज, मंत्रालय ने राज्यों के लिए जारी की गाइडलाइंस

चंडीगढ़। कृषि मंत्रालय ने केंद्र की सब्सिडी के सही इस्तेमाल को यकीनी बनाने के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं। इसमें सभी राज्यों को निर्देश दिए गए हैं कि केंद्र की सब्सिडी होने पर जो भी खरीदारी हो रही है, इसके टेंडर मंगाए जाएंगे। इसके साथ ही अब किसी भी बीज या दवा का स्पेशल ब्रांड नहीं होगा, बल्कि जैसे गेहूं का बीज चाहिए तो सिर्फ बीज का उल्लेख होगा। इसमें...

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सामाजिक न्याय का तंग दायरा- जितेंद्र कुमार

जनसत्ता 29 सितंबर, 2014: अगस्त 1990 में मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करके तब के प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने जिस सामाजिक न्याय का ताना-बाना बुना था, उसके बिखरने में बस चंद वर्ष लगे थे। सबसे पहले उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह जनता दल को तोड़ कर अलग हो गए और मंडल के सबसे अधिक प्रभाव वाले क्षेत्र बिहार में उसके दो प्रतापी नेताओं लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार...

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बाढ़ से एक लाख करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान

जम्मू कश्मीर सरकार ने सोमवार को कहा कि राज्य में बाढ़ के कारण एक लाख करोड़ रुपये के शुरुआती नुकसान का आकलन है और उम्मीद जतायी कि केंद्र प्रभावित लोगों को ज्यादा से ज्यादा सहायता मुहैया कराएगा। मुख्य सचिव मोहम्मद इकबाल खानडे ने संवाददाताओं से कहा कि निजी कारोबार सहित बाढ़ के कारण एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य सरकार बाढ़ की वजह...

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महिलाओं के लिए सार्वजनिक सुविधाएं आधी भी नहीं

महिलाओं को सार्वजनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के मामले में दिल्ली पीछे है। यहां के तीनों नगर निगम क्षेत्रों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए सार्वजनिक सुविधाएं आधी ही हैं। सार्वजनिक शौचालयों के अलावा पुरुषों के लिए अलग से यूरीनल ब्लॉक हैं जबकि महिलाओं के लिए ऐसी कोई भी सुविधा नहीं है। तीनों ही निगम क्षेत्रों में लोगों को उपलब्ध कराई जा रही सार्वजनिक सुविधाओं की तुलना आबादी से करें...

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