हाल के वर्षों तक बाढ़ को ग्रामीण समस्या के रूप में ही देखा जाता था और हमेशा बाढ़ से ग्रस्त रहने वाले इलाकों के लोगों, जो मुख्यत: किसान होते थे, की मान्यता थी कि बाढ़ आती है और चली जाती है। ऐसा विरले ही होता कि कभी ढाई दिन से ज्यादा टिकी हो। लेकिन हमारे बाढ़-नियंत्रण के प्रयासों ने अब गांवों की कौन कहे, शहरी क्षेत्रों को भी अपने में...
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बिहार में बाढ़ का विकराल रूप
पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गंगा नदी में जमी गाद (सिल्ट) के लिए फरक्का डैम को जिम्मेवार ठहराते हुए आज कहा कि इस डैम को हटाए बिना गंगा में गाद की समस्या समाप्त नहीं हो सकती. पटना स्थित मुख्य सचिवालय में गंगा सहित अन्य नदियों के जलस्तर बढने से उत्पन्न बाढ की स्थिति की आज समीक्षा करने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए नीतीश ने कहा कि...
More »खिल्ली तो पीएम की ही उड़ेगी!-- राजीव रंजन झा
यह आश्चर्यजनक है कि भारत अपनी प्रगति के जितने भी दावे करे, मगर इसके बहुत से कोने अब भी विकास की रोशनी से बहुत दूर हैं, अंधेरे में हैं. इन अंधेरों की जिम्मेवारी समूचे राजनीतिक नेतृत्व पर है. देश के 70वें स्वाधीनता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया कि आजादी के सात दशक बाद हाथरस के नगला फतेला गांव में बिजली पहुंच सकी,...
More »प्रमुख जलाशयों में पिछले वर्ष से नौ फीसद अधिक पानी
नई दिल्ली। देश के 91 प्रमुख जलाशयों में कुल क्षमता के 61 प्रतिशत पानी का भंडारण हो गया है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय की ओर से यह जानकारी दी गई। इसके अनुसार 18 अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में इन जलाशयों में 71.556 अरब क्यूबिक मीटर (बीसीएम) पानी था। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि से नौ प्रतिशत ज्यादा है। इन जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता 157.799 बीसीएम है। मंत्रालय के अनुसार...
More »दो मोर्चों पर सबसे ज्यादा नाकाम रहे नरेंद्र मोदी-- तवलीन सिंह
रियो में फिर वही हुआ, जो अक्सर होता है भारतवर्ष के साथ ओलंपिक खेलों में। यानी छोटे-छोटे देश हमारे विशाल देश से ज्यादा पदक हासिल कर जाते हैं। इस बार दो महिलाओं ने लाज बचाई, वरना शायद खाली हाथ लौट कर आते हमारे खिलाड़ी। जैसा अक्सर होता है, जब भारतवासी दुनिया के मुकाबलों में नाकाम होते हैं, विशेषज्ञ निकल कर आए अपने बिलों से विश्लेषण करने। सो, इस बार हमको...
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