अक्सर कहा जाता है कि पिछले एक-डेढ़ दशक से देश में मध्य वर्ग का दायरा तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन ऐसा लगता नहीं कि सरकार की नीतियों में उसका कहीं कोई प्रतिनिधित्व है। एक मिसाल अफोर्डेबल हाउसिंग जैसे नारे की है, जिसमें निचले तबकों की जरूरतों को तो ध्यान में रखा जा रहा है, लेकिन मध्य वर्ग उसमें कोई जगह नहीं हासिल कर पाया है। नेशनल काउंसिल फॉर एप्लाइड...
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किसानों की कब्रगाह बन रहा है पंजाब-
हरित क्रांति ने भारतीय कृषि की तसवीर बदल दी. एक वक्त था, जब अनाज संकट से निबटने के लिए लाल बहादुर शास्त्री को लोगों से एक जून उपवास रखने की अपील करनी पड़ी थी, वहीं आज देश के गोदाम अनाजों से इतने भरे हैं कि रखने की जगह कम पड़ जाती है. लेकिन, यह बदलाव लानेवाले किसानों का क्या हुआ? आज किसान किस संकट से जूझ रहे हैं, इसे समझने...
More »बेटियों की शिक्षा के लिए दो नए कार्यक्रम
मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने प्राथमिक शिक्षा में दो नए कार्यक्रमों की शुरुआत की है। इनमें एक बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और दूसरा पढ़े भारत, बढ़े भारत कार्यक्रम शामिल हैं। यहां राज्यों के शिक्षा सचिवों के साथ बैठक के दौरान इन कार्यक्रमों की आधिकारिक शुरुआत की गई। बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के तहत लड़कियों को बचाने, उनकी परवरिश और शिक्षा पर विशेष फोकस करना है। स्कूलों में...
More »योजना आयोग को खत्म करने पर आम सहमति
राजनेताओं, अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों ने योजना आयोग के स्थान पर नई संस्था बनाने के लिए मंगलवार को कई घंटे की मैराथन बैठक की। इसमें योजना आयोग को खत्म करने पर आम सहमति बनी। योजना भवन में हुई बैठक में नई संस्था के आकार, नाम, ढांचा और राज्यों की भागीदारी आदि को लेकर चर्चा की गई। बैठक में आए विचारों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अवगत कराया जाएगा। योजना भवन में उच्च...
More »कोयले की कालिख का केंद्र - नीरजा चौधरी
कोयला खदान आवंटन मामले में सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले ने साल 1993 से लेकर 2010 के बीच की केंद्र सरकारों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों की आवंटन-प्रक्रिया में कथित निष्पक्षता और पारदर्शिता की कलई खोल दी है। शीर्ष अदालत ने इस बीच के 218 कोयला ब्लॉकों के आवंटन को अवैध बताया है। इस फैसले ने उस बदतर स्थिति का खुलासा किया है, जिसमें ‘क्रोनी कैप्टिलिज्म' और ‘कमजोर नेतृत्व' एक स्तर पर...
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