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भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अब निर्मला सीतारमण की जरूरत नहीं, मोदी को जयशंकर की तरह लेटरल एंट्री का सहारा लेना चाहिए

-द प्रिंट, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अब जबकि लगातार गिरती अर्थव्यवस्था, अप्रैल-जून तिमाही में भारत की जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की उल्लेखनीय गिरावट आई है— पर काबू पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, उन्हें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से किसी और मिसहैंडलिंग की जरूरत नहीं है. मोदी को उनकी बनाई भुरभुरी जमीन से उबरना होगा और लेटरल एंट्री को अर्थव्यवस्था बचाने के लिए अपना मंत्र बनाना होगा....

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भारतीय अर्थव्यवस्था के-शेप्ड रिकवरी की तरफ बढ़ रही है, ऐसा होना भारत के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं होगा

-द प्रिंट, जैसे ही यह खबर आई कि दुनिया की सबसे तेज रफ्तार अर्थव्यवस्था आज दुनिया की सबसे तेजी से सिकुड़ रही अर्थव्यवस्था बन गई है, चारों तरफ से तरह-तरह की टिप्पणियां आने लगीं. इन टिप्पणियों में सबसे गौरतलब यह थी कि भारत की आर्थिक वृद्धि की क्षमता 6 प्रतिशत से घटकर 5 प्रतिशत की हो गई है. कुछ अरसे से यह स्पष्ट हो गया था कि भारत को कोविड-19 के...

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क्या उबर पाएगा हिंदुस्तान?

-इंडिया टूडे, अर्थव्यवस्था: विशेषज्ञों की राय पहले से ही संकटों में घिरी भारत की अर्थव्यवस्था को कोविड ने जोरदार झटका दिया है और देश के सामने एक बड़ी मंदी मुंह बाए खड़ी है. इंडिया टुडे के अर्थशास्त्रियों का बोर्ड (बीआइटीई) इस बात का अंदाजा लगा रहा है कि यह कितने दिनों तक चलने वाला है और इस बीमार अर्थव्यवस्था को चंगा करने के लिए उनकी क्या सलाह है   मैत्रीश घटक, प्रोफेसर, लंदन स्कूल...

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अन्ना चांडी: भारत में हाईकोर्ट की पहली महिला जज

-बीबीसी, साल था 1928, त्रावणकोर राज्य में इस बात को लेकर बहस तेज़ थी कि महिलाओं को सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलना चाहिए या नहीं. इस मुद्दे पर सबकी अपनी अपनी दलीलें थीं. इसी मुद्दे पर त्रिवेंद्रम की एक सभा में चर्चा हो रही थी. इस सभा में राज्य के जाने-माने विद्वान टी.के.वेल्लु पिल्लई शादीशुदा महिलाओं को सरकारी नौकरी देने के विरोध में भाषण दे रहे थे. तभी 24 साल की अन्ना चांडी...

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सेंसर-आधारित प्रणाली से ग्रामीण क्षेत्रों मे पानी की समस्या होगी दूर

-इंडिया वाटर पोर्टल, भारत जल शक्ति मंत्रालय ने ग्रामीण इलाकों में पानी की व्यवस्था और भविष्य की स्थिति जानने के लिये विभिन्न राज्यों में सेंसर आधारित प्रणाली की शुरुआत की है।  राज्य और केंद्र के सर्वरों में भेजे जाएंग  आकड़े  इस प्रोजेक्ट के तहत जमीनी स्तर से  आकड़े जुटाए जाएंगे।  उसके बाद उसे राज्य और केंद्र के सर्वरों में  भेजा जाएगा। ताकि इसका इस्तेमाल पानी की आपूर्ति की  मात्रा,गुणवत्ता और नियमितता को आकनें...

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