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अर्थव्यवस्था के मर्ज की दवा- लार्ड मेघनाद देसाई

वर्ष 2014 में भारत की अर्थव्यवस्था के समक्ष पहली चुनौती महंगाई है. इससे निबटना नयी सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेवारी होगी. पिछले तीन-चार वर्षो से महंगाई की दर बहुत अधिक रही है. महंगाई की समस्या बहुआयामी है. यह अन्य समस्याओं को भी जन्म दे रही है. इससे देश में बहुत बड़ा संकट आया है. अगर सरकार इन चुनौतियों से मुकाबला करने में सक्षम रही, तो भारत की अर्थव्यवस्था उम्मीदों से...

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गड़बड़ाया स्कूली बच्चों का गणित

पटना: हमने बच्चों को शिक्षा का अधिकार भले ही दे दिया है, लेकिन उनकी शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित नहीं कर पाये हैं. सरकारी स्कूलों के बच्चों में सामान्य गणित की समझ और अक्षर ज्ञान में साल-दर-साल गिरावट आ रही है. यह खुलासा असर की नौवीं वार्षिक रिपोर्ट में हुआ है. इसे नयी दिल्ली में योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने बुधवार को इसे जारी किया. घटाव व भाग भी नहीं दे सकते...

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कमजोर लोकपाल, जांच एजेंसियां तक नहीं सुनती

झारखंड में नौ साल पहले ही लोकायुक्त का गठन हो चुका है. इसके बावजूद भ्रष्टाचार के मामले में लिप्त लोगों में कोई भय नहीं है. कमजोर लोकपाल होने के कारण झारखंड में यह असरहीन हो गया है. लोकपाल इतना कमजोर है कि जांच एजेंसियां भी लोकायुक्त की बात को नहीं सुनती. इसलिए झारखंड को एक मजबूत लोकपाल चाहिए. रांची: झारखंड में लोकायुक्त के पास भ्रष्टाचार के 815 मामले लंबित हैं. हर साल लगभग...

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उच्च शिक्षा की ढ़लान- शशांक द्विवेदी

जनसत्ता 30 दिसंबर, 2013 : पिछले दिनों केंद्र सरकार ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए भी तकनीकी और इंजीनियरिंग संस्थान खोलने की मंजूरी दे दी। अब तक कॉलेज को खोलने के लिए सोसाइटी या ट्रस्ट का गठन जरूरी था। केंद्र सरकार की इस नई पहल के तहत तकनीकी, इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की पढ़ाई के लिए कॉलेज शुरू करने वाली कंपनियों को कंपनी अधिनियम-1956 की धारा-25 के तहत...

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सात-आठ मीटर की गहराई तक निकाला जाता है बालू

2011 में महाराष्ट्र उच्च न्यायालय ने नदियों के खनन के खिलाफ आदेश जारी किया. उस आदेश के मुताबिक नदियों से दो मीटर से ज्यादा बालू निकालने की इजाजत नहीं है. पर बिहार की नदियों से 7-8 मीटर की गहराई तक बालू निकाली जाती रही है. बिहार नदियों का प्रदेश रहा है. नदियों ने यहां के लोगों को पाला-पोसा है. लोगों के जीवन से घुली-मिली रही हैं. फिर क्या वजह है कि...

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