'मरते हैं आरजू में मरने की/मौत आती है पर नहीं आती।" 7 मार्च 2011 को अरुणा रामचंद्र शानबाग बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य के मुकदमे का फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू ने मिर्जा गालिब के इस शे"र को याद किया था। सोमवार को जब अरुणा ने आखिरी सांस ली, तब काटजू ने एक बार फिर यह शे"र दोहराया। इस दर्दनाक कहानी की शुरुआत 26 नवंबर 1973 को होती...
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दिल्ली में यह क्या हो रहा है: हाईकोर्ट
दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर चल रहे खींचतान पर हाईकोर्ट ने मंगलवार को तीखी टिप्पणी की है। सरकार के कामकाज पर नाराजगी जाहिर करते हुए हाईकोर्ट ने कहा ‘लोगों को एक बेहतर सरकार की उम्मीद थी लेकिन यह क्या हो रहा है।' हाईकोर्ट ने सरकारी जमीन पर बने अल्पसंख्यक स्कूलों को कम आय वर्ग के बच्चों को दाखिला नहीं देने के छूट देने एवं...
More »इंटरनेट के स्मार्टफोन युग की दस्तक - मुकुल श्रीवास्तव
आईटी क्षेत्र की एक अग्रणी कंपनी सिस्को ने अनुमान लगाया है कि सन 2019 तक भारत में स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या लगभग 65 करोड़ हो जाएगी। फिलहाल भारत में मोबाइल फोन के कुल कनेक्शन 72 करोड़ के आसपास हैं, जिनमें से ज्यादातर बेसिक फोन इस्तेमाल हो रहे हैं, इंटरनेट डाटा का इस्तेमाल करने वाले स्मार्टफोन का अनुपात अभी काफी कम है, लेकिन यह तेजी से बदल...
More »एक गलत शैली का राजकाज - जयराम रमेश
बहुत जल्दी नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में एक साल का समय पूरा कर लेंगे। नि:संदेह वे और उनके साथी सरकार के इस कालखंड को मील के पत्थर के तौर पर प्रचारित करेंगे और अपनी उपलब्धियों का गुणगान करेंगे। वहीं आलोचना में इस बात को इंगित किया जाएगा कि उन्होंने अपने वादे पूरे नहीं किए। बहुत बड़ी-बड़ी बातें की गईं, जिन पर बाद में सरकार ने यू-टर्न ले लिया। जीएसटी...
More »गांवों की ओर भी देखें हुक्मरान- देविन्दर शर्मा
किसी गांव की एक महिला बकरी खरीदना चाहती है। वह आर्थिक तौर पर अपने पैरों पर खड़े होना चाहती है। यह जानते हुए कि उसे मदद मिल सकती है, वह इस काम के लिए लघु वित्तीय संस्थान (एमएफआई) में संपर्क करती है। उसे लगभग 7,000 रुपए की जरूरत है। एक स्वयं सहायता समूह के जरिए काम कर रही एमएफआई उसे 24 प्रतिशत की दर पर ब्याज के हिसाब से यह...
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