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यहां सौर ऊर्जा से पकता है 6 हजार लोगों का भोजन

देहरादून। तीर्थनगरी हरिद्वार स्थित गायत्री पीठ शांतिकुंज में वैकल्पिक ऊर्जा के तहत सौर ऊर्जा से प्रतिदिन छह हजार लोगों का भोजन पकाया जा रहा है जो अपने आप में पूरी दुनिया में अनूठी मिसाल है। शांतिकुंज के व्यवस्थापक गौरीशंकर शर्मा ने बताया कि विश्व में पारंपरिक ऊर्जा के तहत इस्तेमाल किए जाने वाले विभिन्न यंत्रों और उपकरणों के माध्यम से विश्व का तापमान बढ़ रहा है जिसके मद्देनजर इस वैकल्पिक ऊर्जा को लोगों की जरूरतों...

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गेहूं की फसल भरपूर, पर घटा खाद्यान्न उत्पादन

नई दिल्ली। पिछले साल मानसून के दगा देने से देश में खाद्यान्नों के उत्पादन को झटका लगा है। कृषि उत्पादन के बारे में बुधवार को जारी तीसरे अग्रिम अनुमानों के मुताबिक वर्ष 2009-10 के खाद्यान्न उपज में इससे पिछले वर्ष की तुलना में 6.95 प्रतिशत की कमी आई है। हालांकि इस दौरान गेहूं का उत्पादन रिकार्ड 8.09 करोड़ टन रहने का अनुमान है। पिछले साल देश के आधे हिस्से में पड़े सूखे की वजह से खाद्यान्न...

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खाद्य महंगाई बढ़कर 16.44 प्रतिशत हुई

नई दिल्ली। देश की वार्षिक खाद्य महंगाई दर गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार एक मई को समाप्त हुए सप्ताह में बढ़कर 16.44 प्रतिशत रही। इससे पिछले सप्ताह में खाद्य महंगाई की दर 16.04 प्रतिशत थी। खाद्य महंगाई की दर 17 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह में 16.61 प्रतिशत और 10 अप्रैल को समाप्त हुए हफ्ते में 17.65 प्रतिशत थी। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी थोक मूल्य सूचकांक [डब्ल्यूपीआई] के आंकड़ों के...

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भूखे बुंदेलों के हक पर अमीरों का डाका

उरई। बुंदेलखंड के बीहड़ में बसे गांवों के लोग भुखमरी के मुहाने पर खडे़ हैं। उरई जिले के नंदीगांव व रामपुरा ब्लाकों के दर्जनों गांवों के बाशिंदों के घरों में महीने में बमुश्किल 15 दिन ही चूल्हा जलता है और वह भी एक समय। ज्यादातर भूमिहीन और गरीबों के पास बीपीएल और अंत्योदय कार्ड तक नहीं हैं। पूरा भोजन ना मिलने से महिलाएं, पुरुष और बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। दलित बाहुल्य गांवों की हालत...

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भुखमरी कैसे खत्म हो - सचिन कुमार जैन

भुखमरी आज के समाज की एक सच्चाई है परन्तु मध्यप्रदेश के सहरिया आदिवासियों के लिये यह सच्चाई एक मिथक से पैदा हुई, जिन्दगी का अंग बनी और आज भी उनके साथ-साथ चलती है भूख. अफसोस इस बात का है कि सरकार अब जी जान से कोशिश में लगी हुई है कि भूखों की संख्या कम हो. वास्तविकता में भले इसके लिये प्रयास न किये जायें लेकिन कागज में तो सरकार...

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