नयी दिल्ली: केंद्रीय श्रमिक संगठनों के एक सम्मेलन में चार्टर मांगों को लागू करने को लेकर अपने आंदोलन को तेज करने का निर्णय किया गया. संगठन ने निर्णय किया कि 25 सितम्बर को राज्यों की राजधानी में प्रदर्शन किए जाएंगे और 12 दिसम्बर को संसद मार्च किया जाएगा. संगठन के नेताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र उनकी मांगों के लिए कुछ नहीं कर रहा जिसमें न्यूनतम पारिश्रमिक दस हजार रुपये से...
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लखीमपुर: महिला तस्करी की नई राजधानी- प्रियंका दुबे
रह्मपुत्र और सुबनसिरी जैसी विशाल नदियों के बीच बसा असम का लखीमपुर जिला पहली नजर में खुशहाल इलाका दिखता है. ढलानों पर पसरे चाय-बागान, दूर तक फैले धान के खेत और पानी से लबालब सैकड़ों तालाब. लेकिन सतह को थोड़ा ही कुरेदने पर इस खुशनुमा तस्वीर के पीछे की भयावह सच्चाई दिखती है. पता चलता है कि बागानों में चाय की पत्तियां तोड़ते मजदूरों और पानी में डूबे खेतों में...
More »नियमगिरि के हकदार- कमल नयन चौबे
जनसत्ता 2 अगस्त, 2013: नियमगिरि में खनन की इजाजत देने की बाबत सर्वोच्च न्यायालय ने अठारह अप्रैल को दिए अपने फैसले में ग्रामसभा की मंजूरी लेने का आदेश दिया था। इस फैसले और इसके बाद के घटनाक्रम ने जल, जंगल, जमीन पर स्थानीय समुदायों के हक की लड़ाई के कई विरोधाभासों और उपलब्धियों को उजागर किया है। गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की मनमानी व्याख्या करते हुए ओड़िशा...
More »झारखंड : 46000 बच्चों की हर साल मौत
झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं और जागरूकता के अभाव में हर साल हजारों बच्चों व मां की मौत हो रही है. इसे रोका जा सकता है. कम किया जा सकता है. इसी सिलसिले में प्रभात खबर सामाजिक जिम्मेवारी के तहत यूनिसेफ के साथ मिल कर राज्य के प्रमुख जिला मुख्यालयों में कार्यशाला आयोजित कर रहा है, ताकि जागरूकता फैले, संस्थाएं बेहतर काम करें. लोगों तक सुविधा पहुंचे, उन्हें जानकारी मिले. दोनों...
More »गरीबी रेखा या भुखमरी की रेखा- अनिन्दो बनर्जी
देश में गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करनेवालों के बारे में योजना आयोग द्वारा जारी आंकड़ों की कोई और उपयोगिता हो न हो, यह बदहाली के स्वीकार्य मापदंड नहीं हो सकते. जिस देश में करीब 46 फीसदी बच्चे कुपोषण से प्रभावित हों, जहां करीब 40 प्रतिशत परिवार पूर्णत: भूमिहीन या एक एकड़ से कम जमीन के मालिक हों, जहां 90 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या का गुजारा असंगठित क्षेत्र में...
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