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बिहार में सच बड़ा या झूठ?- मणिकांत ठाकुर(बीबीसी संवाददाता)

बिहार में सूचना का अधिकार, यानी आरटीआई, क़ानून कथित सरकारी मकड़जाल में फंस कर विवादों से घिर गया है. इस बाबत राज्य सरकार द्वारा प्रचारित 'उपलब्धियों' और जमीनी सच्चाइयों के बीच बड़ा फ़र्क देख रहे आरटीआइ कार्यकर्त्ता आंदोलित हो उठे हैं. बिहार की नीतीश सरकार अपने शासन के सातवें साल से गुजर रही है. कहा जा रहा है कि इस दौरान यहाँ शासन द्वारा बरती गई चालाकियां किस तरह कामयाबियां नजर आईं, इसका...

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रियो+20 के लिए राष्ट्रीय व वैश्विक प्राथमिकताएं

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संपूर्ण विश्व के राष्ट्राध्यक्ष, सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि और विकास के मुद्दों से जुड़े विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधी 20 से 22 जून 2012 को ब्राजील की राजधानी रियो दी जेनेरियो में एकत्रित होने जा रहे हैं। इस महासम्मेलन को रियो+20 का नाम दिया है क्योंकि 20 वर्ष पूर्व (1992) भी रियो में 172 सरकारों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पर्यावरण और विकास के...

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कड़िया की हवेली बाकी सबके झोपड़े

भले ही कड़िया मुंडा देश की सबसे बड़ी पंचायत (लोकसभा) के उपाध्यक्ष हो, लेकिन उनका गांव चांडीडीह काफी पिछड़ा है. खूंटी लोकसभा क्षेत्र की जनता ने पहली बार 1977 में कड़िया मुंडा को सांसद के रूप में चुना था और इसके बाद वे सात बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं. वर्ष 2009 में सांसद चुने जाने के बाद इन्हें लोकसभा का उपाध्यक्ष जैसा महत्वपूर्ण पद मिला. भाजपा के इस वरिष्ठ...

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भीषण गर्मी और पानी की किल्लत से स्वास्थ्य सुविधाएं बेहाल

राजधानी में जारी भीषण गर्मी व पानी की किल्लत का असर स्वास्थ्य सेवाओं पर भी पड़ने लगा है। जहां एक ओर दीपाली नामक मरीज द्वारा सफदरजंग अस्पताल के ईएनटी विभाग से गर्मी की वजह से छुट्टी लेने का मामला सामने आया है, वहीं दूसरी ओर नगर निगम के बड़ा हिंदूराव अस्पताल में पानी की किल्लत के कारण 13 सर्जरी की तिथि में बदलाव किया गया है। ध्यान देने वाली बात यह...

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कड़वे बादाम : दिल्ली के बादाम उद्योग में मज़दूरों का शोषण

  उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दूर-दराज़ कोने में बसी हुई, शोर-ग़ुल और चहल-पहल भरी करावलनगर की बस्ती, अनौपचारिक क्षेत्र के उद्यमों का एक उभरता हुआ केन्द्र है, जहाँ बड़ी संख्या में प्रवासी मज़दूर और उनके परिवारों को रोज़गार मिलता है। ये उद्यम किसी भी मानक से छोटे नहीं है। वैश्विक सम्‍बन्‍धों की जटिल श्रृंखला में बँधे ये उद्यम, सालभर चालू रहते हैं और हज़ारों मज़दूरों के रोज़गार का स्रोत हैं। कई करोड़...

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