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ऐसा विधेयक, जो 25 वर्षों से है विचाराधीन

संसद के मानसून सत्र में केंद्र सरकार द्वारा जिन 81 विधेयकों को पेश किया जाना प्रस्तावित है, उनमें एक विधेयक ऐसा भी है जो 1987 से ही विचाराधीन है। कानून बनने से पहले उसे संसद की सहमति का इंतजार है। विधेयकों का ढेर लगने से भारतीय संसद में किस तरह कामकाज चलता है, इसका अंदाजा लगाया जाना मुश्किल नहीं है। भारतीय चिकित्सा परिषद से संबंधित है विधेयक लगभग तीन दशकों से विचाराधीन...

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एसपीओ भर्ती: मानसून सत्र में सरकार लाएगी विधेयक

नई दिल्ली/रायपुर.छत्तीसगढ़ सरकार एसपीओ की पुलिस में भर्ती के लिए जल्द ही अध्यादेश लाएगी। मुख्यमंत्री के सलाहकार पूर्व मुख्य सचिव शिवराज सिंह इस मामले में विधि विशेषज्ञों से राय ले रहे हैं। प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में अध्यादेश को कानूनी जामा पहनाने के लिए विधेयक लाया जएगा। एसपीओ की बहाली और तैनाती के लिए अलग से एक बटालियन बनाने का भी विचार है। पढ़े-लिखे एसपीओ को पुलिस के तीन हजार खाली...

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ज्यादा उपज की चाह में देशी धान की उपेक्षा

हेमगिर: हेमगिर अंचल में पारंपरिक देशी धान की खेती ने पूरे पश्चिम ओड़िशा में किसी जमाने में ख्याति अर्जित की थी। लेकिन वर्तमान इस अंचल में देशी धान की बजाय ज्यादा पैदावार के लिए सरकारी धान का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। जिससे युवराज, सफेरी, कलाजीरा, दुईफूल, सम्लेश्वरी आदि देशी धान की प्रजाति लुप्तप्राय सी होती जा रही है। इस मामले में आश्चर्य की बात यह है कि देशी धान...

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ओडिशा में पॉस्को परियोजना के लिए जमीन का अधिग्रहण स्थगित

भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार ने स्थानीय लोगों के विरोध को देखते हुए मंगलवार को राज्य के जगतसिंहपुर जिले में 12 अरब डॉलर की पॉस्को परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का काम स्थगित कर दिया है। जिलाधिकार एस. के. चौधरी ने आईएएनएस से कहा, "सरकार से निर्देश मिलने के बाद हमने इसे अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया है। हम इस मामले में अगले निर्देश का इंतजार करेंगे।" उन्होंने कहा कि पहले अधिग्रहित की जा...

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राजशक्ति बनाम बाबाशक्ति- योगेन्द्र यादव

बेताल ने विक्रमादित्य से पूछा,‘कल तक जो सरकार बाबा रामदेव के सामने बिछी जा रही थी, वही अचानक दल-बल सहित उनके आंदोलन पर चढ़ क्यों बैठी? अगर बाबा लोकशक्ति के प्रतीक हैं तो सरकार की हिम्मत कैसे हुई कि उनके अनशन को तोड़े? अगर बाबा झूठे हैं, तो सरकार उनसे इतनी डरी क्यों थी?’ इक्कीसवीं सदी के बेताल और विक्रमादित्य किसी पेड़ नहीं बल्कि एक बड़ी टीवी स्क्रीन के नीचे...

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