बच्चों को किस भाषा में शिक्षा दी जाये- इस सवाल का जवाब देना आसान काम नहीं है. कुछ साल पहले नरेंद्र मोदी, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे, ने मुझे इस समस्या के लिए अपना समाधान बताया था. मैं कुछ देर में आपसे उनकी बात को साझा करता हूं. मैं इस बात का उल्लेख उन चार खबरों की वजह से कर रहा हूं, जो हाल के दिनों...
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बुजुर्गों का गांव बना गुजरात का चांदणकी, यहां नहीं रहते नौजवान
अहमदाबाद। आजादी के इतने सालों बाद भी पलायन देश की एक बड़ी समस्या है। रोजगार की तलाश में करोड़ों युवा शहरों का रुख करते हैं। गुजरात के सुदूर इलाकों में ऐसे कई गांव हैं, जहां युवाओं की संख्या नगण्य है। आइए आपको गुजरात के ऐसे गांव के बारे में बताते है, जहां नौजवान ही नहीं रहते। गुजरात के मेहसाणा जिले की बेचराजी तहसील में स्थित चांदणकी गांव जहां अब केवल...
More »सिंगूर पर SC सख्त, TATA से ज़मीन लेकर किसानों को वापस दे सरकार
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपने एक अहम् फैसले में पश्चिम बंगाल सरकार को आदेश दिया है कि वो 12 हफ़्तों के भीतर सिंगूर में टाटा नैनो की फैक्ट्री के लिए अधिग्रहित की गई 1000 एकड़ ज़मीन को जमीन के मालिकों को वापस कर दे। कोर्ट के फैसले के मुताबिक जमीन के मालिकों से मुआवजा भी वापस नहीं लिया जाएगा। कोर्ट का कहना है कि उनसे ज़मीन लेकर उनकी आजीविका...
More »काहे रे नदिया तू बौरानी!-- अनिल रघुराज
पानी गले तक आ जाये, तो औरों का भरोसा छोड़ कर खुद ही सोचना और खोजना पड़ता है कि बचने का क्या रास्ता है. दो साल के सूखे के बाद सामान्य माॅनसून ने पूरब से लेकर उत्तर भारत के तमाम इलाकों में यही हालत कर दी है. शहरों, कस्बों व गांवों में लोग घरों से निकल कर सड़कों पर आ गये हैं. नदियां बावली हो गयी हैं. कई जगह तो...
More »बाढ़ अब हर साल का किस्सा है-- दिनेश मिश्र
हाल के वर्षों तक बाढ़ को ग्रामीण समस्या के रूप में ही देखा जाता था और हमेशा बाढ़ से ग्रस्त रहने वाले इलाकों के लोगों, जो मुख्यत: किसान होते थे, की मान्यता थी कि बाढ़ आती है और चली जाती है। ऐसा विरले ही होता कि कभी ढाई दिन से ज्यादा टिकी हो। लेकिन हमारे बाढ़-नियंत्रण के प्रयासों ने अब गांवों की कौन कहे, शहरी क्षेत्रों को भी अपने में...
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