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क्या बैंक निजीकरण सही हल है?

भारत जैसे विशाल देश में 136 करोड़ लोगों के विकास की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बनी सरकारी नीतियों के क्रियान्वयन में सरकारी बैंक प्रमुख भूमिका निभाते हैं. यदि ये न हों, तो विशालकाय केंद्रीय योजनाएं जैसे कि जन-धन योजना, मुद्रा योजना आदि कभी लागू ही न हो सकें. इन्हीं से ही व्यापक सामाजिक उत्थान का स्वप्न देखने में सरकार को एक ठोस धरातल मिलता है. यूनाईटेड बैंक आॅफ...

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भरोसा बरकरार रखने की चुनौती - प्रदीप सिंह

पंजाब नेशनल बैंक के घोटाले ने सरकारी बैंकों, बैंकों का ऑडिट करने वाली संस्थाओं और बैंकों के कामकाज पर निगरानी रखने वाले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की क्षमता पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। इससे यह भी साबित हुआ है कि सरकारी बैंकों में नियुक्त होने वाले निदेशक और वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधि सहित सब या तो गाफिल थे या शरीके जुर्म। वजह कुछ भी हो, वास्तविकता यही है कि...

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आर्थिक आतंकियों को मिले सजा-- तरुण विजय

नीरव मोदी हों या मेहुल चौकसी, विजय माल्या हों या कोई और, एक ऐसे समय में जब देश किसान, मजदूर, महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की बात कर रहा है और सीमाओं पर हमारे सैनिक हर दिन खून की होली खेलते हुए मातृ-भूमि की रक्षा कर रहे हैं, उस समय देश से छल कर हजारों करोड़ के घोटाले करनेवाले वस्तुत: आर्थिक अपराधी नहीं, आर्थिक आतंकवादी हैं, जिन्हें वही सजा मिलनी चाहिए,...

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एक सदी पुराने विवाद का निपटारा-- एम श्रीनिवासन

कावेरी जल बंटवारे को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु में 125 से भी अधिक वर्षों से विवाद चला आ रहा है। पिछले हफ्ते आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ अब यह झगड़ा खत्म होने के करीब दिख रहा है। लेकिन क्या यह हल स्थाई होगा? क्या यह फैसला देश के अन्य नदी जल विवादों में भी नजीर बनेगा? सुप्रीम कोर्ट का फैसला आंशिक रूप से ही इन सवालों के जवाब...

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विदेश यात्राओं का मूल्यांकन-- योगेन्द्र यादव

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल की शुरुआत में कई विदेश यात्राएं की, तो कई आलोचकों ने इसका मखौल उड़ाया था. लेकिन, तब मैं उस आलोचना से सहमत नहीं था. प्रधानमंत्री का कर्तव्य है अपने देश में खुशहाली के साथ-साथ दुनियाभर में देश की प्रतिष्ठा बढ़ाना, अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश की कूटनीतिक और सामरिक क्षमता का विस्तार करना और देश के बाहर दोस्ती का दायरा बढ़ाना. इसलिए तब मैंने...

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