-न्यूजक्लिक, “हम लाचार हैं, हम मान जाते हैं। ये हमें काम देते हैं, हमारा शोषण करते हैं और फिर पूरी दिहाड़ी भी नहीं देते। जब हम जिस्मफरोशी से मना करते हैं तो हमें धमकी दी जाती है कि हमें कोई काम नहीं दिया जाएगा। अगर हमें कोई काम नहीं मिला तो हम खाएंगे क्या? ऐसे में हमें इनकी शर्तें माननी पड़ती हैं।” ये दर्द कारवी गांव की एक नाबालिग बच्ची ने बयां...
More »SEARCH RESULT
जातिगत भेदभाव को लेकर कब ख़त्म होगा भारतीयों का दोहरापन
-द वायर, ‘जाति समस्या- सैद्धांतिक और व्यावहारिक तौर पर एक विकराल मामला है. व्यावहारिक तौर पर देखें तो वह एक ऐसी संस्था है जो प्रचंड परिणामों का संकेत देती है. वह एक स्थानीय समस्या है, लेकिन एक ऐसी समस्या जो बड़ी क्षति को जन्म दे सकती है. जब तक भारत में जाति अस्तित्व में है, हिंदुओं के लिए यह संभव नहीं होगा कि वह अंतरजातीय विवाह करें या बाहरी लोगों के...
More »उत्तर प्रदेश भारत की कमजोर कड़ी है, इसे चार या पांच राज्यों में बांट देना चाहिए
द प्रिंट, आखिर उत्तर प्रदेश ने हमें कोरोना महामारी और चीनी घुसपैठ की ‘सातों दिन 24 घंटे’ खबरों से थोड़ी राहत दिला दी. अब उलझन यह है कि उसे शुक्रिया कहें या न कहें? क्योंकि संदर्भ उतना ही चिंताजनक है. जितना जानलेवा महामारी के खतरे का या घुसपैठ पर उतारू एक पड़ोसी का हो सकता है. एक आदमी को एक ऐसे कथित ‘एनकाउंटर’ में मार डाला गया है जिसे इतने भद्दे...
More »भारत में सांप के काटने से 20 साल में मारे गए लाखों लोग
-बीबीसी, एक नई स्टडी के ज़रिए भारत में पिछले बीस सालों में सांप के काटने से तकरीबन 12 लाख लोगों की मौत का अनुमान लगाया गया है. इस स्टडी के अनुसार सांप के काटने या सर्प दंश से मरने वाले तकरीबन आधे लोगों की उम्र 30 साल से 69 साल के बीच थी. मरने वालों में एक चौथाई बच्चे थे. सर्प दंश से होने वाली ज़्यादातर मौतों के लिए 'रसेल्स वाइपर' (दुबोइया), 'करैत'...
More »एक नजर जलवायु परिवर्तन पर
-इंडिया वाटर पोर्टल, प्रायः ऋतुओं के समय में विचित्र एवं असम्भावित परिवर्तन होते रहते हैं जिससे ऋतुओं का प्रारम्भ अपने निर्धारित क्रमानुसार नहीं होता, जैसा कि होना चाहिए। निर्धारित समय से पूर्व वर्षा ऋतु का आगमन या अभूतपूर्व शीतलहरी आदि अप्रत्याशित घटनाओं को देखकर वैज्ञानिकों का ध्यान ऋतु विपर्यय की ओर गया है। देश-विदेश के विशेषज्ञ अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर इस समस्या के अध्ययन में लगे हुए हैं। वे इसे जलवायु परिवर्तन...
More »