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केंद्रीय ग्रामीण विकास रिपोर्ट 2012-13

केन्‍द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री जयराम रमेश ने आज यहां अपने मंत्रालय की 2012-13 की रिपोर्ट जारी की। इस अवसर पर योजना आयोग के सदस्‍य डॉ. मिहिर शाह और आईडीएफसी फाउंडेशन के कार्यकारी अध्‍यक्ष डॉ. राजीव लाल ने भी रिपोर्ट के मुख्‍य बिन्‍दुओं पर प्रकाश डाला। बाद में ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देने पर विचार-विमर्श भी हुआ।  श्री जयराम रमेश ने सरकारी कार्यक्रमों के अपने लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने में प्रभावी नहीं होने...

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महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना हमारा लक्ष्य : अनिता केरकेट्टा

मैं एक किसान परिवार से हूं और मेरे माता-पिता दोनों ही पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन वे साक्षर थे और उनकी सोच प्रगतिशील थी, यही कारण है कि उन्होंने मुङो पढ़ाया-लिखाया और इस काबिल बनाया कि मैं दूसरों को अधिकार दिलाने के लिए उनकी जंग लड़ सकूं और उन्हें सहारा दे सकूं. यह कहना है महिला सामाख्या की जिला कार्यक्रम समन्वयक अनिता केरकेट्टा का. रजनीश आनंद अनिता पूरी निष्ठा के साथ महिला सामाख्या के कार्यक्रमों...

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महिला जनप्रतिनिधि भी आरटीआइ लगाने में आगे

पंचायती राज में 50 फीसदी महिलाओं के आने से एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि अगर परिवार का हस्तक्षेप न हो और व्यवस्था सहयोग करे, तो अधिसंख्य महिला जनप्रतिनिधि हमेशा भ्रष्टाचारमुक्त समाज के साथ पंचायत में समेकित विकास की बात सोचती हैं. प्रथम अपील एवं द्वितीय अपील तक महिला जनप्रतिनिधियों की पहुंच कम शाहिना परवीन बताती हैं, इसके पीछे दो महत्वपूर्ण कारण हैं. अव्वल तो यह की आज भी सूचना का...

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आरटीआइ से पंचायतें मांगें अधिकार

मित्रो,                                                                                                                                                                              आप पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधि हैं. जनता ने आपको इसलिए चुना कि आप पंचायत, प्रखंड और जिला स्तर पर उनकी बुनियादी समस्याओं को दूर करने के लिए योजनाएं बनाएं, उनका कार्यान्वयन करें और उन पर नियंत्रण रखें. संविधान के 73वें संशोधन ने आपको वही ताकत दी है, जो अपने क्षेत्र में विधायकों और सांसदों को मिला हुआ है. निचले स्तर पर आप पंचायत सरकार हैं. पंचायत सरकारें सत्ता के लोकतांत्रिक ढांचे की...

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दुनिया की 40 प्रतिशत बालिका वधू भारत में

रांची: नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-3 में यह बात कही गयी है कि साक्षरता की दर बढ़ने और बाल विवाह पर कानूनी रोक होने के बावजूद भारत में धर्म तथा परंपराओं के चलते बाल विवाह प्रथा आज भी जारी है. दक्षिण एशिया में दुनिया के किसी अन्य हिस्से के मुकाबले सर्वाधिक बाल विवाह होने को रेखांकित करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सबसे अधिक बाल विवाह होते...

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