संवाद सूत्र, पुरोला: बीते चार वर्षो में रवांई घाटी में बाढ़ व भूस्खलन ने खेती की जमीन को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। फल और नकदी फसल उत्पादकों की 12 सौ नाली कृषि भूमि को कुदरत का कहर लील गया। इससे प्रभावित काश्तकार अब बची हुई जमीन पर ही खेती करने को मजबूर हैं। क्षेत्र में हर साल बरसात के दौरान करीब बारह छोटी बड़ी नदियां विकराल रूप ले लेती हैं।...
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भारत में बाढ़ और सूखे का जोखिम !
वाशिंगटन : स्टैंफोर्ड के वैज्ञानिकों ने मॉनसून के दौरान बेहद पानी गिरने अथवा शुष्क मौसम प्रणाली में उल्लेखनीय बदलाव आने के बारे में आगाह किया है इससे मध्य भारत में बाढ़ और सूखे का जोखिम बढ़ गया है. दो भारतीय मूल के वैज्ञानिकों सहित शोधकर्ताओं के अनुसार दक्षिण एशियाई मॉनसून सत्र के दौरान अत्यधिक उमस का मौसम और कई शुष्क दौर, दोनों की ही तीव्रता हाल के दशकों में बढ़ी है. स्टैंफोर्ड...
More »नसबंदी कराने में पुरुष काफी पीछे
पटना: परिवार नियोजन के लिए महिला बंध्याकरण, तो पुरुष नसबंदी करा सकते हैं, लेकिन हमारे पुरुष प्रधान समाज में आज भी इसके लिए महिलाओं को ही आगे किया जाता है. 2012-13 की रिपोर्ट के अनुसार पूरे पटना जिले में महज 200 लोगों ने ही नसबंदी करायी है. वहीं महिलाओं में बंध्याकरण का यह आंकड़ा साढ़े 25 हजार के करीब है. राजधानी के ज्यादातर अस्पताल इसको लेकर सुस्त पड़े हुए हैं. राजेंद्रनगर अस्पताल की...
More »घोषणापत्रों में नजरंदाज होते किसान
चुनाव अभियान पूरे देश में जोर-शोर से जारी है, लेकिन इसमें न किसान कहीं दिख रहा है और न किसान की चिंता। जहां भारत की लगभग 60 प्रतिशत आबादी कृषि और उससे जुड़े उद्योगों पर निर्भर है, वहां उस तबके की उपेक्षा हैरान करने वाली है। यह भी खबर आ रही है कि इस बार प्रमुख पार्टियों का ध्यान उन 250 सीटों पर ही है, जिनके बारे में माना जा...
More »उपज का घटता भाव- संजीव झा
एक तरफ खाद-उर्वरक के बढ़ते उपयोग के चलते कृषि पैदावार में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई, तो दूसरी तरफ तेजी से बढ़ रहे शहरीकरण ने कृषि योग्य भूमि के विस्तार को सीमित कर दिया। पिछली सदी के दौरान खाद्यान्न की मांग में खासी तेजी के बावजूद खाद्यान्न की कीमत में वास्तविक अर्थों में हर वर्ष 0.7 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई। खेती की उपज को लेकर देश के साथ-साथ दुनियाभर के आंकड़ों...
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