पथरायी आंखों से आकाश की तरफ टकटकी लगाकर देखता किसान और उसके पैरों के नीचे पानी को तरस में टुकड़े-टुकड़े होती जमीन! याद कीजिए कि किसानों की निरीहता की सूचना देती यह तस्वीर आपके जेहन में कितने सालों से दर्ज है? किसानी की यह तस्वीर आपकी आंखों के आगे कुछ और तस्वीरों को नुमायां करेगी. और बहुत मुमकिन है कि नुमायां होने वाली यह तस्वीर अपने खेत में लगे किसी पेड़...
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किसान का दर्द : खेत तक नहीं पहुंचती कागजों पर सजी योजनाएं
इंदौर। नेताओं का भाषण हो या अफसरों की फाइलें किसानों से संबंधित योजनाओं की फेहरिस्त खासी लंबी होती है। लेकिन ये योजनाएं किसान के खेत-खलियान तक क्यों नहीं पहुंच पाती ये शायद वही सवाल है जिसका जवाब जानने आज किसान सड़कों उतर आया है। मध्यप्रदेश में किसानों के नाम पर करीब 30 से ज्यादा योजनाएं चल रही हैं। इसमें केंद्र और राज्य सरकार दोनों की योजनाएं शामिल है लेकिन जमीन पर...
More »पूर्ण शराबबंदी क्या समस्या का समाधान है --- एस श्रीनिवासन
इस महीने की शुरुआत में द्रमुक सुप्रीमो एम के करुणानिधि का 94वां जन्मदिन मनाया गया। जश्न के लिए तमाम विपक्षी नेता उस दिन चेन्नई में जमा हुए, लेकिन जल्द ही यह जश्न प्रधानमंत्री मोदी, उनकी ‘जन-विरोधी' नीतियों और हिंदुत्व की राजनीति पर हमले का मंच बन गया। हालांकि बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने ऐसे किसी विवाद से बचने की पूरी कोशिश की। उन्होंने...
More »सत्ता का संदेश- जय किसान जवान-- मुकेश भारद्वाज
आजादी के बाद भूमि सुधार की बात तो हुई लेकिन यह किसी पार्टी के एजंडे में नहीं रहा। विषमताओं और गैरबराबरी वाले भारत में इस बुनियादी मुद्दे को भुला महाजनों और मानसून पर निर्भर किसानों को विश्व बाजार के मंच पर अकेला छोड़ दिया गया। स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों पर सभी सरकारें चुप हैं। जब लोगों के जीने-मरने का सवाल पैदा हो रहा हो तो उनके सामने नोटबंदी और डिजिटल...
More »हमें और मंदसौर नहीं चाहिए-- शशिशेखर
दसौर की घटना पर आंसू बहाने वाले दिल कड़ा कर लें, क्योंकि असंतोष की चिनगारियां देश के कई हिस्सों में छिटक रही हैं। कारण? गांवों और कस्बों में रहने वाली देश की बड़ी आबादी के लिए ताकतवर भारतीय राष्ट्र-राज्य अब भी दूर की कौड़ी है। क्या हमें इस बात पर शर्म नहीं आनी चाहिए कि कृषि-प्रधान कहलाने वाले देश की कोई कारगर ‘राष्ट्रीय कृषि नीति' नहीं है? 1947 से अब...
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