SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 489

कब चमकेगी आदिवासियों की किस्मत!

नई दिल्ली [भारत डोगरा]। भारतीय संविधान ने आदिवासी समुदायों की विशेष आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशीलता का परिचय दिया और संविधान की इस भावना के अनुकूल हमारे देश में आदिवासी हितों की रक्षा के अनेक कानून भी बनाए गए, लेकिन इसके बावजूद जमीनी स्तर की वास्तविकता यह रही कि आदिवासियों को कई तरह का अन्याय सहना पड़ा। बड़े पैमाने पर वे जमीन से वंचित हुए व उनकी वन-आधारित आजीविका भी अधिकाश स्थानों पर तेजी से कम होती...

More »

पत्थरों की खदानों से लौटा बचपन || बिदिसा फौजदार/शिरीष खरे ||

कभी बाल मजदूरी करने वाला महेन्द्र अब बच्चों के अधिकारों से जुड़ी कई लड़ाईयों का नायक है। महेन्द्र के कामों से जाहिर होता है कि छोटी सी उम्र में मिला एक छोटा सा मौका भी किसी बच्चे की जिंदगी को किस हद तक बदल सकता है। महेन्द्र रजक, इलाहाबाद जिले के गीन्ज गांव से है- जहां की भंयकर गरीबी अक्सर ऐसे बच्चों को पत्थरों की खदानों की तरफ धकेलती है। महेन्द्र...

More »

नर्मदा मैया के साथ भी खिलवाड़

भोपाल. भास्कर ने रविवार के अंक में बताया था कि किस तरह नेताओं ने अपनी जमीन बचाने के लिए नर्मदा पाइप लाइन का रुख मोड़ दिया, लेकिन ‘प्रभावशालियों’ की हिमाकत यहीं खत्म नहीं हुई। इन लोगों ने तो नर्मदा नदी को तबाह करने का भी पूरा इंतजाम कर रखा है। मध्यप्रदेश की जीवन रेखा नर्मदा नदी पर प्रदूषण से बड़ा खतरा अवैध खनन में लगे माफियाओं से है। नेता, अफसर और ठेकेदार मिलकर नदी...

More »

निर्भर नहीं, आत्मनिर्भर !- मिहिर शाह

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) क्रांतिकारी जनपक्षधर विकास कार्यक्रमों का वायदा करती है। ग्राम सभा और ग्राम पंचायतों द्वारा उसकी योजना, क्रियान्वयन और जांच-परख से हजारों स्थायी रोजगार पैदा हो सकते हैं। लेकिन नरेगा की लड़ाई बरसों से चले आ रहे एक बुरे अतीत के साथ है। पिछले साठ सालों से ग्रामीण विकास की योजनाएं राज्य की इच्छा और सदाशयता पर ही निर्भर रही हैं। श्रमिकों को दरकिनार करने वाली मशीनों और ठेकेदारों को काम...

More »

नरेगा के जमीनी समीकरण- सामाजिक अंकेक्षण और सरपंच

सुख अकेले टहलते हैं,दुःख झुंड बनाकर रहते हैं।सुख चेहरे से छलकता है,दुःख चेहरे पर जमा रहता है।सुखों के लिए चौराहे होते हैं और दुःखों के लिए वह कोना जहां किसी की गुजर ही नहीं। गुलाबी नगरी जयपुर में गुजरे 15 दिसंबर को स्टेशन से लगते जीपीओ के पास बने शहीद स्मारक के घेरे में आलम कुछ ऐसा ही था।   कुल 1 हजार की तादाद में पगड़ियां थीं और उनका रंग मटमैलेपन के बीच पूरी शान...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close