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निर्भर नहीं, आत्मनिर्भर !- मिहिर शाह

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) क्रांतिकारी जनपक्षधर विकास कार्यक्रमों का वायदा करती है। ग्राम सभा और ग्राम पंचायतों द्वारा उसकी योजना, क्रियान्वयन और जांच-परख से हजारों स्थायी रोजगार पैदा हो सकते हैं। लेकिन नरेगा की लड़ाई बरसों से चले आ रहे एक बुरे अतीत के साथ है। पिछले साठ सालों से ग्रामीण विकास की योजनाएं राज्य की इच्छा और सदाशयता पर ही निर्भर रही हैं। श्रमिकों को दरकिनार करने वाली मशीनों और ठेकेदारों को काम...

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माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में तैनात रहेंगे अ‌र्द्धसैनिक बल

कोलकाता। केन्द्रीय गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने कहा है कि केन्द्र सरकार पश्चिम बंगाल समेत विभिन्न राज्यों के माओवाद प्रभावित आदिवासी क्षेत्रों में अ‌र्द्धसैनिक बल भेजना जारी रखेगी। महानगर में भारतीय उद्योग महासंघ (सीआईआई) के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अ‌र्द्धसैनिक बल भेजने का उद्देश्य माओवादियों के कब्जे में गई भूमि को फिर से हासिल करना व स्थानीय लोगों के रोष को शांत करना है। अ‌र्द्धसैनिक बल को आदिवासी क्षेत्रों में सड़क,...

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नरेगा के जमीनी समीकरण- सामाजिक अंकेक्षण और सरपंच

सुख अकेले टहलते हैं,दुःख झुंड बनाकर रहते हैं।सुख चेहरे से छलकता है,दुःख चेहरे पर जमा रहता है।सुखों के लिए चौराहे होते हैं और दुःखों के लिए वह कोना जहां किसी की गुजर ही नहीं। गुलाबी नगरी जयपुर में गुजरे 15 दिसंबर को स्टेशन से लगते जीपीओ के पास बने शहीद स्मारक के घेरे में आलम कुछ ऐसा ही था।   कुल 1 हजार की तादाद में पगड़ियां थीं और उनका रंग मटमैलेपन के बीच पूरी शान...

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मध्यप्रदेश में दलितों पर अत्याचार

  मध्यप्रदेश के जिले नरसिंहपुर के उपमंडल गदरवारा के दलित समुदाय भुखमरी के कगार पर हैं।तथाकथित ऊंची जातियों द्वारा उनपर सामाजिक और आर्थिक प्रतिबंध लगाकर लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। कारण मात्र इतना कि दलित समुदाय के लोगों ने मृत मवेशियों सड़े-गले अवशेष उठाने से उनकार कर दिया है।नागरिक संगठनों के एक तथ्यान्वेषी दल का कहना है कि गदरवारा में कई जगहों पर दलित अपने घरों में कैद हैं क्योंकि उनके निकसार के सारे रास्ते...

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चिराग तले अंधेरा....

अधिकारों की हिफाजत में कानून बनाना एक बात है और सच्चाई की जमीन पर उतार पाना एकदम दूसरी बात।देश की राजधानी दिल्ली को ही देखें। एक तरफ तो शिक्षा के बुनियादी अधिकार को साकार करने के लिए कानून अमल में आ गया है दूसरी तऱफ देश की राजधानी दिल्ली में में कामगार तबके की आबादी वाले कॉलोनियों में बच्चे नियमित पढ़ाई लिखाई से वंचित हो रहे हैं। दिल्ली में रोजमर्रा की...

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