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इंसान के जमीर की आवाज का जागना - गोपालकृष्‍ण गांधी

जमीर क्या है? दिल-ओ-दिमाग से भी आगे, एक ऐसे कोने में सिकुड़कर बैठा हुआ एक खयाल, जो कि अकसर खामोश रहता है, आसपास के शोरगुल से कोई ताल्लुक ना रखते हुए, वो अपने खयालों में खोया-खोया रहता है। लेकिन कभी-कभी, वह यकायक उठ खड़ा होता है, अंगड़ाई लेता है और फिर ऐसे बोलता है कि उसकी आवाज को सुनना पड़ता है। किस जुबान में बोलता है जमीर? क्या जिस इंसान में उसका घर...

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सरकार नहीं, समाज गढ़ता है श्रेष्ठ संस्थान- हरिवंश

अमेरिका के जितने भी महान विश्वविद्यालय हैं, उन्हें बनाने के लिए बड़े-बड़े पूंजीपतियों ने अपनी जिंदगी भर की कमाई लगा दी. एक झटके में करोड़ों डॉलर का दान कर दिया. क्या भारत में पैसेवालों की कमी है? नहीं. फिर क्यों यहां ऐसे संस्थान नहीं खड़े होते? क्यों हम लोग हर चीज के लिए सरकार का मुंह देखते रहते हैं. सरकार अपना काम करे, यह जरूरी है. पर समाज और लोगों की...

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निजी स्‍कूलों में लूट की छूट देने वाली गाइडलाइन - अनिल सदगोपाल

पहले तो मध्य प्रदेश सरकार सालों तक सोती रही, लेकिन जब निजी स्कूलों की बेलगाम लूट से पीड़ित अभिभावकों के पक्ष में चंद कलेक्टर जाग गए और अपने संवैधानिक दायित्व का पालन करने लगे तो सरकार ने निजी स्कूलों का पक्ष लेते हुए कलेक्टरों पर ही अंकुश लगाने का हैरतअंगेज काम किया। दूसरी ओर, सरकार कलेक्टरों की सक्रियता और अभिभावकों में बढ़ते आक्रोश से इतनी घबड़ाई कि अपनी फाइलों में...

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भूमंडलीकरण के दौर में मजदूर दिवस- कृष्ण प्रताप सिंह

भूमंडलीकरण व्यापने के बावजूद दुनिया के कई देशों में मजदूर दिवस सरकारी छुट्टी का दिन है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के संस्थापक सदस्य भारत में ऐसा नहीं है! और तो और, इस देश में ऐसी कोई परंपरा भी नहीं बन पायी है, जिससे मजदूरों के संदेशों को दूसरी नहीं तो कम-से-कम उनकी अपनी जमातों तक पहुंचाया जा सके. ऐसे दुर्दिन में मजदूर दिवस पर कोई भी सार्थक बातचीत उसके सामान्य परिचय...

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कानून और न्याय का तकाजा - हृदयनारायण दीक्षित

न्याय सर्वोच्च अभिलाषा है। संविधान, कानून और न्यायपालिका न्याय प्राप्ति के ही उपकरण हैं। सर्वोच्च न्यायालय संविधान और विधि का संरक्षक है। संसद ने संविधान प्रदत्त शक्तियों का सदुपयोग करते हुए जजों की नियुक्तियों के मामले में 99वां संविधान संशोधन पारित किया। संविधान (अनुच्छेद 368) की अपेक्षानुसार इसे आधे से ज्यादा राज्य विधानमंडलों ने भी अनुसमर्थन दिया। तदनुसार राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम भी पारित हुआ। संप्रति यह प्रावधान भारत...

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