आज देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ और व्यवस्था परिवर्तन की बात फिर चल रही है. लेकिन, जब कभी इस तरह के आंदोलनों की बात छिड़ती है, तो बरबस लोकनायक जयप्रकाश नारायण का चेहरा व चिंतन हमारे जेहन में आता है. अमूमन जेपी की शख्सीयत को सत्तर के दशक में उनके द्वारा दिये गये संपूर्ण क्रांति के नारे में ही समेटने की कोशिश होती है. सच यह है कि जेपी ने इस देश...
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हमारे लोकतंत्र का संकट- शिवदयाल
जनसत्ता 16 अक्टुबर, 2012: दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, सवा अरब लोगों का। छह-सात प्रतिशत की दर से बढ़ती अर्थव्यवस्था। पर इसकी अधिकांश आबादी को अब तक ‘ट्रिकल डाउन’ यानी अमीरों के उपभोग से रिस कर मिलने वाले लाभ का ही आसरा है। छीजते जाते संसाधन, बिगड़ता जाता पर्यावरण, जलावतनी और विस्थापन, एक-दूसरे को काटती और खारिज करती पहचानें, लगभग एक-तिहाई से भी अधिक भूभाग सैन्यबलों के भरोसे, और इतने पर भी धन...
More »पुलिस की छवि बदलने की राह- अजय सिंह
देश का खुफिया विभाग हर साल एक सम्मलेन का आयोजन करता है. इसमें देशभर के पुलिस महानिदेशक और केंद्रीय पुलिस संगठनों के मुखिया शामिल होते हैं. लेकिन हर साल यह एक सालाना रस्म अदायगी के तौर पर होता है. प्रधानमंत्री और गृह मंत्री रटी-रटाई सी भाषा में अपने भाषण को पूरा करते दिखते हैं. लेकिन दस दिन पहले संपन्न हुआ यह सम्मलेन अपनी तय लकीर से हट कर था. इस बार यह...
More »आम आदमी को महंगी और होटल वालों को सस्ती पड़ेगी गैस
भोपाल. एक साल में पहले छह सिलेंडर 451 में और इसके बाद हर सिलेंडर के लिए करीब 800 रुपए। इस नए निर्णय से घरेलू उपभोक्ता को जरूर झटका लगा है, लेकिन व्यावसायिक सिलेंडर का उपयोग करने वाले दुकानदारों को राहत मिलती दिख रही है। ऐसा इसीलिए क्योंकि दुकानदार अभी 1469 रुपए में 19 किलो का व्यावसायिक सिलेंडर ले रहे हैं। नए नियम के बाद 1600 रुपए में बिना सब्सिडी वाले दो सिलेंडर...
More »विस्थापन के जरिये विकास नहीं चाहिए- रोमा
आखिरकार प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण कानून को संसद के इस मानसून सत्र में भी टालना ही पड़ा। विवादों में घिरे होने की वजह से सरकार द्वारा इसे मंत्री समूह को सौंप दिया गया है। चूंकि अभी केंद्र सरकार अपने दामन पर लगी कालिख पोंछने में लगी है, इसलिए यह खबर सुर्खियों में नहीं है। इसी विवादास्पद कानून के खिलाफ पिछले महीने ‘संघर्ष’ के बैनर तले हजारों लोगों ने जंतर-मंतर पर धरना...
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