मिथक होते ही हैं टूटने के लिए. जिसके पास जज्बा हो वह मिथक को जरूर तोड़ता है. बिहार के खगड़िया की महिलाएं घर की दहलीज से बाहर निकल कर मिथक को तोड़ रही हैं. खगड़िया जिले में कोशी नदी और बाढ़ की विभीषिका एक दूसरे की पहचान रही हैं, लेकिन इसी इलाके की महिलाएं इस जिले की पहचान को बदल रही हैं. अब यहां कोशी की धारा के अलावा एक और...
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स्त्री सशक्तीकरण की शर्तें- विकास नारायण राय
जनसत्ता 16 जून, 2014 : बलात्कार और हत्या पर राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए बदायूं के कटरा सादतगंज गांव में पहुंचने वाले राजनीतिकों को उपेक्षा से नहीं लेना चाहिए। न इस जमात के दूर से ऊलजलूल अर्द्ध-सत्य बोलने वालों को। दरअसल, इन सतही कवायदों में स्त्री-सशक्तीकरण के पैरोकारों के लिए एक निहित संदेश है- स्त्री-विरुद्ध हिंसा के मसलों पर समग्र राजनीतिक एजेंडे की सख्त जरूरत है। मीडिया, एनजीओ और कानून...
More »सस्ती जमीन, पर बेशकीमती रोजगार- एम एन बुच
इन आम चुनावों में गुजरात सरकार पर बार-बार आरोप लगाया जा रहा है कि उसने पूंजीपतियों को कौड़ियों के मोल जमीन बांट दी है। इसमें व्यक्ति विशेष का उल्लेख किया जा रहा है, परंतु यह नहीं बताया जा रहा कि राज्य सरकार की नीति ही है कि उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए औद्योगिक इकाइयों को इसी दर पर जमीन दी जाए। यदि आवंटन में और आवंटन शुल्क में पक्षपात...
More »कमजोर मॉनसून और महंगाई की लड़ाई- राजीव रंजन झा
इस बार मॉनसून के सामान्य से कमजोर रहने की खबरों ने चिंता बढ़ा दी है. इसका नकारात्मक असर महंगाई रोकने के प्रयासों पर होगा. मॉनसून पर सरकार का जोर नहीं चलता, लेकिन जब पहले से मालूम हो कि एक संकट की संभावना है, तो उससे निपटने के लिए पहले से उपाय करने होंगे. एक तरफ जहां कृषि उत्पादन में संभावित कमी का पहले से अंदाजा लगा कर समय रहते आयात करके...
More »विश्वबैंक का विकासशील देशों में निराशाजनक वृद्धि का अनुमान
वाशिंगटन : विकासशील देश की वृद्धि दर इस साल निराशाजनक रहेगी. यह बात विश्वबैंक ने अपनी वैश्विक आर्थिक संभावना (जीइपी) की रपट में कही जिसमें इस साल विकासशील देशों की वृद्धि दर 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जाहिर किया गया है जबकि जनवरी में 5.3 प्रतिशत वृद्धि की संभावना व्यक्त की गई थी. अपनी ताजातरीन रपट में बैंक ने विकासशील देशों के लिए वृद्धि का अनुमान घटाया है और इस साल उसे...
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