इस एक तथ्य पर गौर करें। साल 1965-66 अनाज का उत्पादन 19 फीसदी घटा जबकि साल 1987-88 में मात्र 2 फीसदी जबकि इन दोनों ही सालों में खेती सूखे की चपेट में आई। सोचिए कि ऐसा क्यों हुआ ? एफएओ द्वारा प्रकाशित स्मॉल होल्डर्स एंड सस्टेनेबल वेल्स, अ रेट्रोस्पेक्ट: पार्टीसिपेटरी ग्राऊंटवाटर मैनेजमेंट इन आंध्रप्रदेश पुस्तक का उत्तर है कि सुखाड़ की इन दो अवधियों के बीच देश में भूमिगत जलस्रोत के जरिए सिंचाई पर निर्भरता बढ़ी और इसी वजह से...
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कृषि नीति और नीयत का संकट- अविनाश पांडेय समर
आंकड़ों की नजर से देखा जाये, तो भारतीय कृषि सहज बोध को धता बतानेवाली अजूबे सी दिखती है. कुछ इस तरह कि भारत की विकास दर के दहाई पार कर देश को अगली विश्व शक्ति बनाने के सपने दिखाने के ठीक बाद वैश्विक आर्थिक मंदी की चपेट में आते हुए ध्वस्त हो जाने पर कृषि क्षेत्र में सुधार ने ही संभाला था. और यह भी कि कुल आबादी के करीब 67...
More »किसान-उपभोक्ता के बीच उलझी कृषि- डा भरत झुनझुनवाला
बताया गया था कि डब्ल्यूटीओ संधि के लागू होने पर कृषि निर्यात बढ़ेंगे और किसानों के लिए नये मौके खुलेंगे. लेकिन आयातों से किसान घरेलू बाजारों से भी वंचित हो रहे हैं. इसलिए डब्ल्यूटीओ संधि नहीं, बल्कि सरकार की कृषि नीति जिम्मेवार है. आगामी चुनाव में किसानों का वोट हासिल करने को पार्टियों में होड़ लगी हुई है. किसानों को ऋण एवं अन्य सुविधाएं देने का वायदा किया जा रहा है....
More »इस विकास की कीमत- विनोद कुमार
हमारे देश का अभिजात तबका और शहरी मध्यम वर्ग उदारीकरण और नई औद्योगिक नीति का कमोबेश समर्थक है। और उसके पक्ष में दलीलें देता है। इसी तरह दक्षिणपंथी और मध्यवर्ती राजनीतिक दल- चाहे वह कांग्रेस हो, भाजपा हो या बसपा, राजद आदि- नई औद्योगिक नीति के बारे में लगभग मिलते-जुलते विचार रखते हैं। वामपंथी दल उदारीकरण और नई औद्योगिक नीति के बारे में हाल तक थोड़ी भिन्न भाषा का इस्तेमाल...
More »बबीता ने जैविक खेती से 374 किसानों को जोड़ा
आम तौर पर पढ़ी-लिखी महिलाएं खेतीबारी में कम ही रुचि रखती हैं. उनका रुझान दूसरे कार्यो की ओर अधिक होता है. बबीता कश्यप इस मामले में अपवाद हैं. उन्होंने खेती की ओर रुख किया और गांव-गांव में महिलाओं को इससे जोड़ने का अभियान छेड़ा. बबीता ने रासायनिक खेती के बजाय जैविक खेती को अपनाया. 2005 में रामगढ़ से एकाउंट ऑनर्स की पढ़ाई पूरी करने वाली बबीता हमेशा कुछ नया करने की...
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