आज हमारा गणतंत्र 66 साल का हो गया। लंबी गुलामी के बाद संघर्ष से मिली आजादी में गणतंत्र का यह सफर आसान हरगिज नहीं रहा। आजादी के साथ ही आयी विभाजन की विभीषिका से उबर कर भारत ने गणतंत्र की राह सोच-समझ कर ही चुनी थी। फिर भी अगर सफर आसान और परिणाम वांछित नहीं रहे, तो कारण विरासत में मिली जटिलताओं के साथ ही नीति-निर्धारण में दोष का भी...
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सही दिशा में है आर्थिक नीति- तवलीन सिंह
दावोस की पहली सुबह जब मैं बर्फ से ढके बाजार में निकली, तो एक कैफे के शीशे के चमकते दरवाजे पर 'मेक इन इंडिया' पढ़ा, जो बड़े अक्षरों में उस शेर की बगल में लिखा था, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस सपने का प्रतीक बन गया है। यह इसलिए भी अच्छा लगा कि कई वर्षों से निवेशकों के इस महत्वपूर्ण आर्थिक सम्मेलन में भारत अदृश्य रहा है। यह भी...
More »तीन तरीकों से बनाएं अपनी शिक्षा व्यवस्था बेहतर - अनुराग बेहर
पहला कदम तो यह कि हमें उस शिक्षा व्यवस्था में सुधार करना होगा और उसे पूरी तरह बदलना होगा, जिससे भविष्य के शिक्षक होकर गुजरते हैं। इसे सामान्य भाषा में बीएड और डीएड व्यवस्था कहा जाता है। शिक्षक बनने के लिए यह जरूरी योग्यता है। कहना न होगा कि शिक्षक बनाने वाली भारत की इस व्यवस्था की हालत खराब है। हमें शिक्षक बनने के इच्छुक युवाओं के लिए दो वर्षीय...
More »वैश्चिक अर्थव्यवस्था में लड़खड़ाता 'ड्रैगन" और हम - सुषमा रामचंद्रन
चीन की कहानी किसी परीकथा की तरह है। लाखों गरीबों-मजलूमों का यह देश महज चंद दशकों में ही एक वैश्विक महाशक्ति के रूप में जब उभरकर सामने आया तो सभी हतप्रभ रह गए। हालत यह हो गई?कि चीन को दुनिया की सबसे बड़ी फैक्टरी कहा जाने लगा : एक मैन्युफेक्चरिंग पॉवर हाउस! लेकिन अब लगता है कि चीन के उभार की कहानी जिस तरह से किसी परीकथा की तरह थी,...
More »दुनियाभर में उथल-पुथल भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौतीः मूडीज
नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती दुनियाभर में जारी उथल-पुथल है। अमेरिका में ब्याज दर बढ़ना और चीन में मंदी जैसे हालात इसमें शामिल है। पिछले एक साल से यह जोखिम बढ़ा है। मूडीज ने सोमवार को एक सर्वे रिपोर्ट में यह बात कही। बाजार से जुड़े 110 लोगों और निवेशकों के बीच किए गए सर्वे के मुताबिक करीब 75 प्रतिशत ने माना कि अगले 12-18 महीनों में...
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