औपचारिक शिक्षा के महत्त्व को देखते हुए अधिकांश अभिभावक-गण अपने बच्चों को स्कूल भेजना चाहते हैं। बच्चों के लिए स्कूल ढूँढते हैं, बस्ता खरीदते हैं, पेन- पेन्सिल, कॉपी-किताब खरीदते हैं, स्कूल की पोशाक खरीदते हैं। तमाम सरकारों की भी यही कोशिश रही कि बच्चे स्कूल जाएँ। सरकारों ने विद्यालयों का निर्माण करवाया, शिक्षकों की नियुक्ति की और ज़रूरी सुविधाएँ उपलब्ध करवाई। पिछले कई दशकों में ऐसे कई कदम उठाए गए...
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कॉप 28: दुबई जलवायु सम्मेलन में किन मुद्दों पर रहेगी दुनिया की नज़र
द थर्ड पोल, 07 दिसम्बर जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन यानी यूएनएफसीसीसी के वार्षिक जलवायु शिखर सम्मेलन को लेकर, यूएनएफसीसीसी के ही एक पूर्व प्रमुख कहते है कि जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिहाज़ से इसे काफ़ी नहीं कहना चाहिए, लेकिन इसके बिना हालात और भी खराब होंगे। कुछ हफ्ते पहले, यूएनएफसीसीसी ने अभी तक की राष्ट्रीय जलवायु प्रतिज्ञाओं का एक नया विश्लेषण, एनडीसी सिंथेसिस रिपोर्ट, प्रकाशित की। यह...
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द थर्ड पोल, 01 दिसम्बर जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन यानी यूएनएफसीसीसी के वार्षिक जलवायु शिखर सम्मेलन को लेकर, यूएनएफसीसीसी के ही एक पूर्व प्रमुख कहते है कि जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिहाज़ से इसे काफ़ी नहीं कहना चाहिए, लेकिन इसके बिना हालात और भी खराब होंगे। कुछ हफ्ते पहले, यूएनएफसीसीसी ने अभी तक की राष्ट्रीय जलवायु प्रतिज्ञाओं का एक नया विश्लेषण, एनडीसी सिंथेसिस रिपोर्ट, प्रकाशित की। यह...
More »नरेगा धरने का 21वां दिन: आधार नहीं, सुधार चाहिए
नरेगा संघर्ष मोर्चा, 17 मार्च प्रेस विज्ञप्ति देश की राजधानी दिल्ली में बीते 3 सप्ताह से नरेगा मज़दूरों का 100 दिवसीय धरना जारी है। जंतरमंतर पर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे नरेगा मज़दूरों के धरने का आज 21 वां दिन रहा। नरेगा मज़दूरों का आरोप है कि ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) श्रमिकों की शिकायतों को अनदेखा कर रहा है और श्रमिक प्रतिनिधिमंडलों से मिलने से इनकार कर रहा है। नरेगा संघर्ष मोर्चा के...
More »मोदी सरकार द्वारा धीरे-धीरे मनरेगा का गला घोंटने का काम किया जा रहा है
द वायर, 26 फरवरी केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के आवंटन में सबसे भारी कटौती मौजूदा बजट में की गई है. इस मद में सिर्फ 60,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो कि अब तक की सबसे कम राशि है. इसके अलावा मनरेगा के तहत ऐप आधारित हाजिरी दर्ज करने की प्रणाली – नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग...
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