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भारत के पहले जिओथर्मल प्लांट की संभावनाएं और चुनौतियां

द थर्ड पोल, 17 नवम्बर लद्दाख के हिमालयी क्षेत्र में पुगा घाटी में सरकार द्वारा संचालित तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) भारत का पहला जिओथर्मल प्लांट बना रहा है। लद्दाख के नीचे दो टेक्टोनिक प्लेटें टकराती हैं, जिससे यह स्थान गर्म झरनों जैसी जिओथर्मल घटनाओं के लिए एक प्रमुख केंद्र बनता है, और यह वह ऊर्जा है, जिसका दोहन करने के लिए ओएनजीसी उत्सुक है। यह नवीकरणीय ऊर्जा का संभावित...

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कटी हुई अँगुलियाँ और चमचमाती कारें

क्या आप जानते हैं कि आपकी कार बनाते समय कितने लोगों की अँगुलियाँ कट गई थी ? आपने जिस भी कंपनी से कार खरीदी है, क्या वहाँ सुरक्षा मानकों की पालना की जा रही थी ? मजदूरों की सुरक्षा के लिए कौनसे कदम उठाएँ गए हैं ? क्या वो पर्याप्त हैं ?  इसी तरह के सवाल का ज़वाब तलाशती है– ‘सेफ इन इंडिया’ की रिपोर्ट – सेफ्टी–नीति 2023 और CRUSHED 2022. ऑटो–मोबाइल क्षेत्र,...

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झारखंड के 85% कोयला श्रमिक चाहते हैं वैकल्पिक रोजगार के लिए प्रशिक्षण: रिपोर्ट

कार्बनकॉपी, 24 अप्रैल भारत 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है, जिसके लिए कोयले को चरणबद्ध तरीके से समाप्त (फेज आउट) करने की आवश्यकता है। इस एनर्जी ट्रांजिशन का कोयला श्रमिकों की आजीविका पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। यह प्रभाव विशेष रूप से झारखंड जैसे राज्यों में गंभीर होगा, जहां भारत की एक चौथाई से अधिक कोयले की खानें हैं। झारखंड में ऊर्जा परिवर्तन के प्रभावों और...

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रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा क्लोरोफ्लोरोकार्बन, ओजोन को कर सकता है कमजोर

डाउन टू अर्थ, 06 अप्रैल  धरती को सूर्य से बचाने वाली ओजोन परत को कमजोर करने वाली क्लोरोफ्लोरोकार्बन पर दुनिया भर में प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन वैज्ञानिकों ने खुलासा किया कि कुछ मानव निर्मित क्लोरोफ्लोरोकार्बन रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई है। जलवायु में बदलाव करने वाला यह उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है। अध्ययन के अनुसार, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत प्रतिबंधित होने के बावजूद, पांच क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) 2010 से 2020 तक...

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आपदाओं से जूझ रहे हिमालय में तापमान बढ़ने से बिगड़ेंगे हालात, आईपीसीसी की चेतावनी

द थर्ड पोल , 27 मार्च दुनिया के बड़े जलवायु वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की छठी मूल्यांकन रिपोर्ट का आख़िरी भाग, आईपीसीसी सिंथेसिस रिपोर्ट, जारी कर दिया है। इसमें क्लाइमेट क्राइसिस यानी जलवायु संकट को लेकर “फाइनल वार्निंग” है। हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र में काम करने वाले विशेषज्ञों ने इस बात को लेकर चिंता जताई है कि अगर पहाड़ और हिमनद यानी ग्लेशियर और ज़्यादा गर्म होते...

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