जनचौक, 25 जुलाई प्रयागराज। सावन के महीने में यूपी में खेतों में धूल उड़ रही है। पिछले साल बारहों महीने बेतहाशा बरसने वाले बादल इस साल मानसून में भी नहीं आये। आषाढ़ बीत गया। खेतों में बेहन रोपनी की राह देखते-देखते चेहरे पत्थर हो चले हैं। रोपनी गीत स्त्रियों के गलों में ही दबे रह गये। जो लोग कहीं से पानी का जुगाड़ करके धान की रोपाई कर भी दिये हैं...
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सिलिकोसिस: पत्थर कटाई करने वाले मज़दूर जीते जी नर्क में रहने के लिए मजबूर क्यों हैं
-द वायर, अगर आप गूगल पर सिलिकोसिस शब्द खोजेंगे तो आपको यह जवाब मिलेगा, ‘सिलिका युक्त धूल में लगातार सांस लेने से फेफड़ों में होने वाली बीमारी को सिलिकोसिस कहा जाता है. इसमें मरीज के फेफड़े खराब हो जाते हैं. पीड़ित व्यक्ति की सांस फूलने लगती है. इलाज न मिलने पर मरीज की मौत हो जाती है.’ लेकिन, हकीकत यह है कि सिलिकोसिस लाइलाज बीमारी है. एक बार सिलिकोसिस होने के बाद...
More »यूपी चुनाव: मीठे चुनावी वादे और गन्ना किसानों की कड़वी सच्चाई
-इंडिया स्पेंड, उत्तर प्रदेश चुनाव में गन्ना किसानों के भुगतान का मुद्दा फिर उठ रहा है। एक ओर मौजूदा सरकार रिकॉर्ड भुगतान के दावे कर रही है। वहीं, विपक्ष के नेता भुगतान में देरी की बात करते हुए सरकार बनने पर 15 दिन के अंदर भुगतान की बात कर रहे हैं। इन तमाम दावों और वादों से इतर किसान अपने गन्ने के पेमेंट की बाट जोह रहा है। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के किसान मनजीत...
More »फर्जी सर्टिफिकेट के सहारे बना मोदी के जन्मदिन पर कोविड टीकाकरण का रिकॉर्ड
-कारवां, मध्य प्रदेश के भोपाल के रहने वाले प्रणय नरवारे बताते हैं कि उनकी मां ने 15 सितंबर को कोविड का टीका लगाया था लेकिन टीकाकरण केंद्र ने उस दिन इसे कोविन पोर्टल पर अपडेट नहीं किया. "अगले दिन जब मेरी मां ने उनसे संपर्क किया, तो उन्हें बताया गया कि उनका नाम महाअभियान के लिए अलग रखा गया है. मां को यह भी कहा गया कि वह सर्टिफिकेट के लिए 17...
More »मुस्लिम-विरोध और हिंसा: वीएचपी की 10 पत्रिकाओं का लेखाजोखा
-न्यूजलॉन्ड्री, किताबें, अखबार और पत्रिकाएं जहरीली विचारधारा प्रसारित करने का सबसे महत्वपूर्ण हथियार है. सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन ने एक बार कहा था, "किताबें अन्य सभी प्रचार माध्यमों से मुख्य रूप से भिन्न होती हैं क्योंकि एक पुस्तक किसी भी अन्य माध्यम से ज्यादा, पाठक के दृष्टिकोण को महत्वपूर्ण रूप से बदल सकती है." लगभग 1870 से 1918 तक भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के प्रारंभिक चरण में राजनीतिक प्रचार और शिक्षा, राष्ट्रवादी विचारधारा...
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