SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 13

एक नागरिक के तौर पर प्रवासी

-न्यूजक्लिक, हम अपने देश के इतिहास में सबसे डरावनी घटना के गवाह बने हैं। इस डरावनी घटना को एक राज्य से दूसरे राज्यों में अपने घरों में वापस लौटते मज़दूरों के दृश्य बयां कर रहे हैं। अनुमान है कि लॉकडाउन के चलते 2,71,000 फैक्ट्रियों और साढ़े छ: से सात करोड़ लघु और सूक्ष्म धंधे रुक गए, जिसके चलते करीब़ 11 करोड़ चालीस लाख नौकरियां चली गईं। इसमें 9 करोड़ 10 लाख...

More »

नागरिक को अर्द्ध नागरिक में बदलता समय

-लोकवाणी, लॉकडाऊन के सवा दो माह गुजरने के बाद जब कोई सवाल ये पूछे तो कि देश ने क्या खोया-क्या पाया तो एक खस्ताहाल आम नागरिक का और क्या जवाब होगा भला सिवाय मी’र के इस शे’र के कि ‘उलटी हो गई सब तदबीरें कुछ ना दवा ने काम किया—देखा इस बीमारी-ए-दिल ने आखिर काम तमाम किया’ ? लॉकडाऊन के बीते दिनों के बारे में बस इतना भर कहा जा सकता...

More »

कोविड-19: महज एक तिहाई प्रवासी मजदूरों को ही मिल रहा राहत घोषणाओं का फायदा

-डाउन टू अर्थ, इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट (आईएचडी) के आकलन के मुताबिक, कोरोनावायरस महामारी के मद्देनजर जो राहत उपाय किए गए हैं, उसका लाभ देश के प्रवासी कामगारों के महज एक तिहाई हिस्से तक ही पहुंच पाया है। आईएचडी के आकलन के अनुसार अल्पकाल के लिए काम की तलाश में बार-बार आने-जाने वाले करीब 5 करोड़ प्रवासी सरकार की लाभुकों की शिनाख्त प्रक्रिया से बाहर हैं। इंस्टीट्यूट ने ये अनुमानित आंकड़े 2...

More »

मौलिक अधिकारों का संघर्ष जारी, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार चार्टर के 70 साल

मनुष्यों के लिए नागरिक, सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक अधिकार मौलिक मानवाधिकारों की श्रेणी में आते हैं. विभिन्न रिपोर्टें इस बात की पुष्टि करती हैं कि दुनिया की एक बड़ी आबादी आज भी अपने बुनियादी अधिकारों के लिए संघर्षरत है और मानवाधिकार उल्लंघन का शिकार है. मानवाधिकार के पक्ष में आवाज बुलंद करने की जरूरत को समझते हुए कई देश संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में 70 साल पहले एकजुट...

More »

बढ़ती अशांति और भ्रांति से बेचैन - मृणाल पांडे

साल 2017 समाप्ति पर है, लेकिन नई सदी के उपजाए सरदर्द घट नहीं रहे। पाकिस्तान में हर दो-तीन महीनों के भीतर कट्टरपंथी गुट उदारवादी लोकतांत्रिक मूल्यों को मानव बम से उड़ा रहे हैं। म्यांमार में बौद्ध बहुसंख्य जनता द्वारा रोहिंग्या मुस्लिमों को जबरन भेड़-बकरियों की तरह देश से बाहर हांक दिया गया है और वे हर पड़ोसी देश की सीमा पर बेघर बने डांय-डांय डोल रहे हैं। पहले से ही...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close