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देशभर में नदियों को जीवित ईकाई मान्यता देने की मांग, सभी राजनीतिक पार्टियों को भेजा गया मसौदा

डाउन टू अर्थ, 05 अप्रैल लोकसभा 2024 को चुनावी एजेंडे में पर्यावरण के मुद्दे को प्राथिमकता में लाने के लिए जन आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वय ने सभी राजनीतिक दलों और उनके सांसदों  को अपने-अपने चुनावी घोषणा पत्र में पीपुल्स रिवर प्रोटेक्सन बिल को शामिल करने की मांग उठाई है।  एक ऑनलाइन प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जन आन्दोलन के राष्ट्रीय समन्वय की नेत्री मेधा पाटकर ने कहा कि  ‘2024 के लोकसभा चुनावों के...

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क्या एम.एस.पी की मांग सिर्फ एक चुनावी नाटक है ?

वर्ष 2020 में केंद्र सरकार ने किसानों से जुड़े मसलों पर तीन कानून बनाएँ। जिसका किसानों ने भारी विरोध किया। दिल्ली की सरहदों पर डेरा डाला। करीब 13 महीनों की रस्सा-कशी के बाद समाधान का रास्ता निकला। केंद्र सरकार ने तीनों कानूनों को निरस्त कर दिया। किसानों ने धरना/आन्दोलन ख़त्म कर दिया। किसान अपने-अपने घरों की ओर लौट गए। करीब दो वर्ष बाद, एक बार फिर किसान दिल्ली की ओर...

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किस हाल में हैं विनोबा भावे के ग्रामदानी गांव?

डाउन टू अर्थ. 7 अगस्त "दिल्ली और मुंबई में हमारी सरकार है, लेकिन हमारे गांव में, हम खुद सरकार हैं। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के वन क्षेत्र के अंदर बसे गांव मेंढा (लेखा) में यह वाक्य लिखा एक बोर्ड आपका स्वागत करता है। बोर्ड पर लिखा यह वाक्य जंगल और जमीन के संरक्षण के लिए गांव द्वारा स्थापित स्व-शासन की एक बानगी है। लगभग 500 गोंड आदिवासियों के इस गांव ने...

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तपती-झुलसाती गर्मी में आदिवासियों का पैदल मार्च, सीआरपीएफ कैंप और सड़क चौड़ीकरण का विरोध

जनचौक, 15 मई बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ में पिछले लंबे समय से अलग-अलग जगहों में आदिवासी सीआरपीएफ कैंप और सड़क चौड़ीकरण के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। इस दौरान आदिवासी 12 और 13 मई को पैदल मार्च कर जिला कलेक्टर से मिलने पहुंचे। लगभग 200 दिनों से अबूझमाड़ तोयमेटा में हजारों ग्रामीण अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं। लगातार सरकार की तरफ से...

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गुजरात में ‘अतिरिक्त’ राशन कार्ड रद्द करने से सबसे अधिक आदिवासी प्रभावित होंगे: रिपोर्ट

द वायर , 5 अप्रैल गुजरात सरकार ने राज्य में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के ‘अतिरिक्त’ राशन कार्डों को रद्द करने का आदेश पारित किया है. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के बिना उठाया गया था. ‘अतिरिक्त’ राशन कार्डों को रद्द करने का आदेश 80,000 से अधिक आदिवासी परिवारों के पांच लाख से अधिक लोगों को उनके भोजन के मूल अधिकार से वंचित...

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