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प्रदूषण रहित ईंधन से चलने वाले चूल्हों के नाम पर हो रहा है खेल: रिपोर्ट

डाउन टू अर्थ, 30 जनवरी रिसर्च से पता चला है कि क्लीन कुकस्टोव के जलवायु पर पड़ते सकारात्मक प्रभावों को परियोजनाएं 10 गुना बढ़ा चढ़ाकर बता रही हैं, ऐसे में अध्ययन का दावा है कि कमजोर तबके को जहरीले धुएं से बचाने की यह लोकप्रिय योजना, उत्सर्जन के त्रुटिपूर्ण आंकलन के चलते कमजोर हो रही है। गौरतलब है कि कमजोर देशों में खाना पकाने के साफ-सुथरे साधनों के लिए जद्दोजहद करते लोगों...

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नीति आयोग ने गौशालाओं को आर्थिक रूप से व्यवहारिक बनाने की वकालत की, रियायती दरों पर पूंजी उपलब्ध कराने की बताई जरूरत

रूरल वॉयस, 05 मई  नीति आयोग के एक पैनल ने सुझाव दिया है कि गौशालाओं की पूंजी सहायता के माध्यम से मदद की जानी चाहिए। साथ ही खेती में उपयोग के लिए गाय के गोबर और गोमूत्र-आधारित वस्तुओं की मार्केटिंग की जानी चाहिए ताकि गौशालाओं को आर्थिक रूप से व्यवहारिक बनाया जा सके। इसके अलावा गौशालाओं के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए एक पोर्टल बनाने का प्रस्ताव पैनल ने दिया है। इस...

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बेरोजगारी दूर करने का दमखम है कृषि में

दैनिक ट्रिब्यून, 03 अप्रैल  कोरोना महामारी के दौरान जिस तरह देश ने प्रवासी मजदूरों का घर-वापसी पलायन देखा, उसके बाद आई आवधिक श्रमिक बल सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि खेत मजदूरों की संख्या में 3 फीसदी का इजाफा हुआ है, यह गिनती वर्ष 2018-19 में 42.5 प्रतिशत से बढ़कर 2021-22 में 45.5 फीसदी हो गई। जिस कृषि क्षेत्र को इन तमाम सालों में जान-बूझकर दीन-हीन बनाकर रखा गया है, वह...

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गरीबी और असमानता

[inside] इंडिया में आर्थिक असमानता: “अरबपति राज” में ब्रिटिश राज से भी ज्यादा है असमानता - रिपोर्ट [/inside] इंडिया के भौगोलिक आकार और जनसंख्या, जो अब दुनिया में सबसे अधिक है, को देखते हुए इंडिया में आर्थिक विकास का वितरण विश्व की आर्थिक असमानता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। इसलिए इंडिया में आय और संपत्ति की असमानता को सटीक रूप से मापना अत्यधिक आवश्यक है। हाल ही में वर्ल्ड इनइक्वलिटी डाटाबेस ने...

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पानी और साफ-सफाई

खास बात - भारत में खुले में शौच करने वाले लोगों की संख्या 626 मिलियन है। यह संख्या 18 देशों में खुले में शौच करने वाले लोगों की संयुक्त संख्या से ज्यादा है।# -ग्रामीण इलाकों में केवल २१ फीसदी आबादी के घरों में शौचालय की व्यवस्था है।* -पेयजल आपूर्ति विभाग के आंकड़ों के हिसाब से कुल १,५०,७३४९ ग्रामीण मानव बस्तियों में से केवल ७४ फीसदी में पूरी तरह और १४ फीसदी में...

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