-द वायर, हिंदू और हिजाब. शीर्षक अटपटा है. भला हिंदुओं का हिजाब से क्या लेना-देना? लेकिन आजकल दिखाई यह पड़ रहा है कि हिजाब सबसे ज्यादा फिक्र की वजह हिंदुओं के लिए है. हिजाब लगाए हुए लड़कियां या औरतें उन्हें पिछड़ी हुई, पितृसत्ता की शिकार जान पड़ती हैं और वह उनके उद्धार के लिए व्यग्र हो उठा है. ठीक वैसे ही जैसे उसका दिल तीन तलाक़ की शिकार औरतों के लिए दुखता...
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छत्तीसगढ़: बेचापाल में महीने भर से क्यों आंदोलनरत हैं हज़ारों ग्रामीण
-द वायर, छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के धुर नक्सल प्रभावित इलाके बेचापाल में पिछले 28 दिनों से हजारों ग्रामीण पुलिस कैंप के विरोध में बैठे हुए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में पुलिस कैंप खुलता है तो उनकी मुश्किलें और बढ़ जाएंगी. पुलिस कैंप के साथ बेचापाल समेत कई गांवों को ब्लॉक और जिला मुख्यालय से जोड़ने पक्की सड़क बन रही है जिसका विरोध भी ग्रामीण कर रहे हैं. ग्रामीणों...
More »यूपी: लिंचिंग, पुलिस की जाँच और इंसाफ़
-बीबीसी, साल 2015 की बात है, यूपी के दादरी में अख़लाक़ को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला, ये गाय के नाम पर की गई मॉब लिंचिंग की संभवत: पहली घटना थी जो आने वाले वक्त में एक तयशुदा स्क्रिप्ट की तरह दोहराई जाने लगी. बीते छह साल में देश के कई राज्यों से एक-के-बाद एक लिंचिंग की ऐसी घटनाएँ सामने आई हैं जिनमें मारे जाने वाले व्यक्ति की धार्मिक पहचान उसकी हत्या...
More »जिस तरह अंग्रेजों ने बिरसा मुंडा को जेल में मार डाला, उसी तरह भारत सरकार ने स्टेन को: स्वामी के साथी
-आउटलुक, "लेकिन हम फिर भी समूहों में गाएंगे, पिंजरे में बंद पंछी अभी भी गा सकता है।" ये शब्द किसी और के नहीं बल्कि फादर स्टेन स्वामी के थे, जिन्होंने जेल से अपने एक साथी जेसुइट पादरी को लिखे पत्र में कहा था। दोनों हाथों में लगातार झटके के साथ तेज पार्किंसंस बीमारी से पीड़ित स्टेन ने पत्र लिखने के लिए इस दर्द को उठाया, क्योंकि वो अन्य कैदियों की दुर्दशा को उजागर...
More »किसका दुखड़ा रोऊं!
-आउटलुक, “इंसाफ के बहाने कामयाब बिक्री का कारनामा सुशांत की गर्ल फ्रेंड रिया चक्रवर्ती को मुख्य संदिग्ध साबित करने पर उतर आया” प्रतिभा के धनी बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत को दुनिया से विदा हुए साल भर बीत गए। पिछले साल लगभग तभी वह मीडिया ट्रॉयल भी शुरू हुआ था, जो इंसाफ की मुहिम के नाम पर बड़ी चालाकी से देश में अजीबोगरीब लहर पैदा कर रहा था। यह कहना तो निहायत...
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