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एमएसपी की कानूनी गारंटी- खाद्य सुरक्षा और किसान की जीवन रेखा

 डाउन टू अर्थ, 19 फरवरी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की अनुशंसा केंद्र सरकार द्वारा की जाती है। इसका उद्देश्य किसानों को उनकी कृषि उपज के लिए न्यूनतम लाभकारी मूल्य दिलाना, बाजार में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करके उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना और देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है। एमएसपी की शुरुआत 1966-67 में की गई थी, जब भारत में खाद्य पदार्थों की भारी कमी थी। तब सरकार ने घरेलू खाद्यान्न...

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जून में कम बार‍िश से प‍िछड़ी खरीफ फसलों की बुवाई

इंडियास्पेंड, 12 जुलाई इस मौसम को खेती के ल‍िए सबसे सही माना जाता है। लेकिन नासिक के उतराने गांव के सुनील पगार अभी तक अपनी 10 एकड़ जमीन पर बुआई भी शुरू नहीं कर पाये हैं । वह मक्का बोने की योजना बना रहे हैं। लेकिन दक्षिण-पश्चिम मानसून में देरी की वजह से उनके गांव में 3 जुलाई तक अच्छी बारिश नहीं हुई। वे अब बाजश्रा बोने की सोच रहे हैं...

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डीएपी सब्सिडी में 15,792 रुपये प्रति टन की कटौती, वैश्विक कीमतों में गिरावट से सरकार के सब्सिडी बिल में होगी बड़ी बचत

रूरल वॉयस, 23 मई केंद्र सरकार ने विनियंत्रित उर्वरकों पर न्यूट्रिएंट आधारित सब्सिडी (एनबीएस) स्कीम के तहत खरीफ सीजन 2023-24 के लिए  पीएंडके उर्वरकों के विभिन्न वेरिएंट पर सब्सिडी में भारी कटौती की है। विनियंत्रित उर्वरकों में कॉम्प्लेक्स उर्वरकों में सबसे अधिक बिकने वाले डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) पर खरीफ सीजन के लिए 32,641 रुपये प्रति टन की सब्सिडी मिलेगी। इस संबंध में 18 मई, 2023 को डिपार्टमेंट ऑफ फर्टिलाइजर्स ने...

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'भारत को कृषि के लिए एक पारिस्थितिकी केंद्रित दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए'

इंडियास्पेंड, 11 मई  पी.एस. विजयशंकर धारणीय खेती और जल संसाधन प्रबंधन के विशेषज्ञ हैं। वह कहते हैं कि1960 के दशक में भारत की हरित क्रांति द्वारा लाई गई उत्पादन-केंद्रित कृषि, उच्च उपज वाले बीजों, उर्वरकों और भूजल के अत्याधिक उपयोग से भारत को 1970 के दशक तक खाद्य आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद तो मिली, लेकिन इसने मृदा स्वास्थ्य, भूजल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का काफी नुकसान भी किया। भारत को...

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नीति आयोग ने गौशालाओं को आर्थिक रूप से व्यवहारिक बनाने की वकालत की, रियायती दरों पर पूंजी उपलब्ध कराने की बताई जरूरत

रूरल वॉयस, 05 मई  नीति आयोग के एक पैनल ने सुझाव दिया है कि गौशालाओं की पूंजी सहायता के माध्यम से मदद की जानी चाहिए। साथ ही खेती में उपयोग के लिए गाय के गोबर और गोमूत्र-आधारित वस्तुओं की मार्केटिंग की जानी चाहिए ताकि गौशालाओं को आर्थिक रूप से व्यवहारिक बनाया जा सके। इसके अलावा गौशालाओं के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए एक पोर्टल बनाने का प्रस्ताव पैनल ने दिया है। इस...

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