खास बात • गंगोत्री ग्लेशियर सालाना ३० मीटर की गति से सिकुड़ रहा है।* • अगर समुद्रतल की ऊंचाई एक मीटर बढ़ती है तो भारत में ७० लाख लोग विस्थापित होंगे।* • पिछले बीस सालों में ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी जिवाश्म ईंधन के दहन से हुई है।* • मानवीय क्रियाकलापों के कारण ग्लोबल ग्रीन हाऊस गैस के उत्सर्जन में लगातार बढोत्तरी हो रही है। अगर औद्योगीकरण के पहले के समय से तुलना करें तो मानवीय क्रियाकलापों...
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भारत के जलवायु आंदोलन को राह दिखाते युवा पर्यावरण संगठन
-कारवां, चेन्नई के एक लेखक और शोधकर्ता नित्यानंद जयारमन ने 19 जनवरी को अडाणी वॉच नाम की एक वेबसाइट पर दुनिया भर में युवाओं द्वारा चलाए जा रहे 25 से अधिक पर्यावरणीय संगठनों की अडाणी समूह के खिलाफ हफ्ते भर के विरोध प्रदर्शन की घोषणा की. जयरामन की पोस्ट का शीर्षक था : "अडाणी को रोकने के लिए युवाओं की योजना (वाईएएसटीए), 27 जनवरी से 2 फरवरी". इसमें आगे लिखा था, "वाईएएसटीए...
More »कैसे पंचवर्षीय योजनाओं ने हिंदुस्तान की आर्थिक बुनियाद को टेढ़ा कर दिया
-सत्याग्रह, अब तक हमने जाना कि कैसे आजादी के बाद 1948 में राज्यों का एकीकरण हुआ - हैदराबाद, जूनागढ़ की ना-नुकर और कश्मीर का एक लड़ाई और कुछ शर्तों के साथ हिंदुस्तान में विलय. 1949 में आरबीआई का राष्ट्रीयकरण हुआ और 1950 में देश अपने नये संविधान के साथ गणतंत्र बना. देखा जाए तो इसके साथ देश का भौगोलिक और संवैधानिक ढांचा बनकर तैयार हो गया था. अब बारी थी आर्थिक...
More »एक नजर जलवायु परिवर्तन पर
-इंडिया वाटर पोर्टल, प्रायः ऋतुओं के समय में विचित्र एवं असम्भावित परिवर्तन होते रहते हैं जिससे ऋतुओं का प्रारम्भ अपने निर्धारित क्रमानुसार नहीं होता, जैसा कि होना चाहिए। निर्धारित समय से पूर्व वर्षा ऋतु का आगमन या अभूतपूर्व शीतलहरी आदि अप्रत्याशित घटनाओं को देखकर वैज्ञानिकों का ध्यान ऋतु विपर्यय की ओर गया है। देश-विदेश के विशेषज्ञ अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर इस समस्या के अध्ययन में लगे हुए हैं। वे इसे जलवायु परिवर्तन...
More »दुनिया में पिछले 100 साल में 90 फीसदी घटी गरीबी : रिपोर्ट
मुंबई। आम धारणा के विपरीत आय और जीवनस्तर के मामले में दुनिया के हालात पहले से काफी बेहतर हुए हैं। पिछले 100 साल के दौरान घोर गरीबी तकरीबन 90 फीसदी कम हो गई है। 1910 में जहां 82.4 फीसदी लोग गरीबी में जीवन बीता रहे थे, वहीं 2015 में ऐसे लोगों की तादाद घटकर केवल 9.6 फीसदी रह गई है। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक वैसे लोगों को गरीब माना जाता है,...
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