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गुलाबी सुंडी के कारण आत्महत्या के कगार पर पहुंचे किसान, बीटी कपास को भी भारी नुकसान!

11 दिसम्बर, गाँव सवेरा राजस्थान में श्री गंगानगर जिले के 23 एमएल गांव के 40 वर्षीय शमशेर सिंह की दिनचर्या 25 सितंबर 2023 को आम दिनों की तरह ही थी। उन्होंने दोपहर 3.30 बजे सब्जी रोटी खाई, फिर एक झपकी ली। उसके बाद उठकर चाय पी। इस वक्त तक उनकी पत्नी जसविंदर कौर, उनके 17 वर्षीय बेटा जसविंदर और 11 व 14 साल की बेटियों जसप्रीत और पुष्पा कौर ने उनके...

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छला महसूस कर रहे हैं बीटी कपास अपनाने वाले किसान

डाउन टू अर्थ,11 दिसम्बर  राजस्थान में श्री गंगानगर जिले के 23 एमएल गांव के 40 वर्षीय शमशेर सिंह की दिनचर्या 25 सितंबर 2023 को आम दिनों की तरह ही थी। उन्होंने दोपहर 3.30 बजे सब्जी रोटी खाई, फिर एक झपकी ली। उसके बाद उठकर चाय पी। इस वक्त तक उनकी पत्नी जसविंदर कौर, उनके 17 वर्षीय बेटा जसविंदर और 11 व 14 साल की बेटियों जसप्रीत और पुष्पा कौर ने उनके...

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पंजाब: फ़सलों की तबाही व क़र्ज़ की दोहरी मार झेलते किसान

पारी हिंदी, 14 सितम्बर बलदेव कौर (70) ने ज़मींदोज़ हो चुके मकान के मलबों के बीच से किसी तरह अपना रास्ता बनाया. ये मलबे उनके खेत में बने उस मकान के थे जो कभी उनके परिवार का घर हुआ करता था. कमरों की जो दीवारें अभी भी खड़ी थीं उनमें बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी थीं. “जब धुआंधार बारिश हो रही थी और छत पर ओले गिर रहे थे, तो वह पूरी रात...

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आरबीआई के विलफुल डिफॉल्टर्स के क़र्ज़ को समझौते से निपटाने के निर्णय के ख़िलाफ़ आईं बैंक यूनियन

डाउन टू अर्थ, 14 जून  भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी करते हुए कॉम्प्रोमाइज़ सेटलमेंट (समझौते की प्रक्रिया) के तहत बैंकों को विलफुल डिफॉल्टर्स (जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाले) और धोखाधड़ी के मामलों के ऋण निपटान की अनुमति देने का निर्णय लिया है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, बैंक यूनियनें इसके खिलाफ हैं. उनका कहना है कि आरबीआई का ‘कॉम्प्रोमाइज़ सेटलमेंट और तकनीकी राइट-ऑफ का तरीका’ एक ‘हानिकारक...

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बेड़ियों और यातनाओं में गुज़रता बचपन जिससे नहीं मूंदी जा सकती हैं आंखें

द प्रिंट, 12 जून  बाल मज़दूरी—ये दो शब्द एक साथ कहां मेल खाते हैं? फिर भी यह एक ऐसी सच्चाई है जिससे हम आंख नहीं मूंद सकते. बाल मजदूर एक समाज के रूप में हमारी सामूहिक विफलता तो उद्गाटित करते ही हैं, हमारी संवेदना और नैतिक मूल्यों पर भी तमाम सवाल खड़े करते हैं. हम सिर्फ नंबरों की बात करते हैं, लेकिन हमेशा भूल जाते हैं कि हर बाल मजदूर का...

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