SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 26

पंजाब- आत्महत्या से मरने वाले पंजाब के 9,000 से अधिक किसानों में से 88% कर्ज में डूबे

गाँव सवेरा, 23 जून  इकनोमिक एंड पोलिटिकल वीकली (पत्रिका) के नए संस्करण में प्रकाशित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के एक अध्ययन से पता चला है कि पंजाब के छह जिलों में साल 2000 से 2018 के बीच आत्महत्या से 9,291 किसानों की मौत हुई है. सर्वेक्षण में शामिल  जिलों में संगरूर, बठिंडा, लुधियाना, मानसा, मोगा और बरनाला शामिल हैं. अध्ययन में यह पाया गया है कि इन सभी आत्महत्याओं में 88 फीसदी...

More »

किसान लामबंदी (1920 – 2020)

-लोकवाणी, “ एक वह हैं जो अपनी ही सूरत को लेते हैं बिगाड़, एक वह है जिसे तस्वीर बनानी आती है ” आज देश में जगह जगह किसान सरकार की नीतियों से नाराज होकर सड़कों पर रोषप्रकट कर रहें हैं. किसान की उपज की लूट चल रही है, किसान कर्ज में डूबते जा रहें हैं, जिस कारण किसान की ख़ुदकुशी के केस बढ़ते जा रहें हैं, सरकार किसान हितैषी होने का दम भरती...

More »

किसानों के सामने आत्महत्या का सबसे मुख्य कारण है कर्ज : देविंदर शर्मा

-गांव कनेक्शन, देश में रोज 28 किसान और खेतिहर मजदूर आत्महत्या कर रहे हैं, जबकि 89 दिहाड़ी मजदूर जान देने को मजबूर हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो से सामने आये आंकड़ें यही गवाही दे रहे हैं। आखिर क्यों देश को अपने हाथों की मेहनत और खून-पसीने से सींचने वाले लोग जान दे रहे हैं, गाँव कनेक्शन के गांव कैफे में इसी मुद्दे पर चर्चा हुई, इस ख़ास चर्चा में शामिल हुए...

More »

आज भी जिंदा है Mother India के सुक्खी लाला, किसान ने बेटे के इलाज के लिए लिया कर्जा, हड़प ली पूरी जमीन

-गांव कनेक्शन, " हमारा जवान लड़का अस्पताल में भर्ती था। जेवर बेचकर और उधार लेकर डेढ़ लाख रुपए लगा चुके थे। इलाज के लिए और पैसे की ज़रुरत थी तो एक एकड़ खेत 26 हजार में गिरवी रख दिया। लेकिन बनिया (साहूकार) ने बेईमानी की और हमारी पूरी धरती (4 एकड़ ज़मीन) हड़प ली। बेटा और ज़मीन दोनों चले गए," कहते-कहते बुजुर्ग मथुराबाई पल्लू में मुंह छिपाकर फफक फफक कर रोने...

More »

यूपी: महराजगंज में बंद पड़ी चीनी मिल से प्रभावित 48,000 किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं

‘18 अप्रैल के बिटिया के गवना के दिन धइले बाटीं, हर साल एक से डेढ़ एकड़ बोअत रहलीं, अबकी तीन एकड़ गन्ना बो देहलीं. सोचलीं कि बिटिया के गवनवा के खर्चा फसलिया बेच के निपटाई देब. फसल बढ़िया भईल तब सोचलीं भगवानों दुखिया के दर्द समझत बाटें, केहू से कर्जा नाहीं लेवेके पड़ी. जनवरी बीत गईल, गन्ना अबहीं खेतवे में खड़ा बा. 2014-15 के अबहीं 22 हजार रुपिया मिलवा से...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close