डाउन टू अर्थ, 07 मार्च भीषण गर्मी की वजह से खेती से होने वाली आमदनी में कमी आती है। ऐसा गरीब किसान के साथ ज्यादा होता है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि भीषण गर्मी के दिनों में गैर गरीब किसान के मुकाबले गरीब किसान परिवारों की आमदनी में 2.4 प्रतिशत का नुकसान होता है, जो उनकी फसलों से होने...
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औद्योगिक विस्तार और प्रदूषण: संकट में खेती और परंपरागत व्यवसाय
डाउन टू अर्थ, 15 जनवरी नवंबर के पहले हफ्ते में काली मिट्टी में उगा सफेद सोना लहलहाने लगा है। कानम प्रदेश के नाम से मशहूर ये गुजरात के भरूच जिले की कॉटन बेल्ट है। जो अपनी उच्च गुणवत्ता की कपास (रुई) के लिए जानी जाती है। खेतों से कपास चुन रही महिला श्रमिकों का समूह तल्लीनता से अपने काम में रमा हुआ है। सारा दिन तेज धूप में खड़े होकर वे कपास...
More »राजस्थान की अवांछित बेटियां: लिंग निर्धारण और कन्या भ्रूण हत्या
रूरल वॉयस, 22 मई भारत में कपास के उत्पादन में हाल के वर्षों के दौरान गिरावट आई है। यह गिरावट वर्ष 2015 से लगातार है। इस दौरान उत्पादन सालाना 400 लाख गांठ से घटकर 310 लाख गांठ रह गया है। कीटों का प्रभाव नए सिरे से बढ़ने और विपरीत जलवायु परिस्थितियों के कारण यील्ड नहीं बढ़ रही है। विश्व औसत कपास उत्पादकता 768 किलो प्रति हेक्टेयर है, जबकि भारत का राष्ट्रीय...
More »किसान तक नहीं पहुँच पाएगा एथेनाॅल परियोजना का फायदा!
सत्य हिंदी, 10 फरवरी अगले आम चुनाव से पहले केंद्र सरकार अपनी जिन योजनाओं में तेजी ला रही है उनमें से एक है एथेनाॅल परियोजना। इस परियोजना से यह उम्मीद बांधी जा रही है कि जल्द ही सरकार 300 अरब रुपये की विदेशी मुद्रा बचा लेगी। सरकार ने पेट्रोल में बीस फ़ीसदी एथेनाॅल मिलाने का कार्यक्रम लांच कर दिया है। 11 राज्यों के चुनिंदा शहरों में अब ऐसा पेट्रोल उपलब्ध है...
More »आमदनी दुगनी के बजाए, आधी रह गई
कृषक जगत, 01 नवम्बर केन्द्र सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दुगना करने का लक्ष्य रखा है। वर्ष 2022 को गुजरने में अब मात्र दो माह का समय शेष है। हालांकि सरकार ने इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु 2015-16 को आधार वर्ष माना है, जहां किसान की औसत वार्षिक आय रुपये 93216 आंकलित की गई थी। बेशक गत छ: वर्षों में फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में पूर्व...
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