मोंगाबे हिंदी, 21 मार्च क्या आप जानते हैं कि दुनिया में करीब 2.76 करोड़ लोग हर दिन जबरन मजदूरी करने को मजबूर हैं। मतलब कि प्रति हजार लोगों पर 3.5 लोग वो हैं जो आधुनिक दासता के इस दलदल में फंसे हैं। यह जानकारी अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) द्वारा जारी नई रिपोर्ट 'प्रोफिट्स एंड पावर्टी: द इकोनॉमिक्स ऑफ फोर्स्ड लेबर' में सामने आई है। आंकड़ों के मुताबिक जबरन मजदूरी के हर 10...
More »SEARCH RESULT
क्या एम.एस.पी की मांग सिर्फ एक चुनावी नाटक है ?
वर्ष 2020 में केंद्र सरकार ने किसानों से जुड़े मसलों पर तीन कानून बनाएँ। जिसका किसानों ने भारी विरोध किया। दिल्ली की सरहदों पर डेरा डाला। करीब 13 महीनों की रस्सा-कशी के बाद समाधान का रास्ता निकला। केंद्र सरकार ने तीनों कानूनों को निरस्त कर दिया। किसानों ने धरना/आन्दोलन ख़त्म कर दिया। किसान अपने-अपने घरों की ओर लौट गए। करीब दो वर्ष बाद, एक बार फिर किसान दिल्ली की ओर...
More »क्या राजकोषीय संघवाद की गाड़ी हिचकोले खा रही है ?
समाचार माध्यमों से लेकर राजनीतिक गलियारों तक ‘राजकोषीय संघवाद’ का मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है। हाल ही में पेश किए गए केंद्रीय बजट 2024–25 ने इस चर्चा को और बढ़ावा दिया है। आँकड़े बता रहे हैं कि वितरण योग्य राशि (डिविजबल पूल) के आकार में कमी आ रही है। पिछले कई वर्षों से वित्त आयोगों की सिफारिशों को नज़रन्दाज किया जा रहा है। इस लेख में ‘राजकोषीय संघवाद’...
More »भारत की शिक्षा व्यवस्था पर 'असर' ने क्या असर डाला ?
औपचारिक शिक्षा के महत्त्व को देखते हुए अधिकांश अभिभावक-गण अपने बच्चों को स्कूल भेजना चाहते हैं। बच्चों के लिए स्कूल ढूँढते हैं, बस्ता खरीदते हैं, पेन- पेन्सिल, कॉपी-किताब खरीदते हैं, स्कूल की पोशाक खरीदते हैं। तमाम सरकारों की भी यही कोशिश रही कि बच्चे स्कूल जाएँ। सरकारों ने विद्यालयों का निर्माण करवाया, शिक्षकों की नियुक्ति की और ज़रूरी सुविधाएँ उपलब्ध करवाई। पिछले कई दशकों में ऐसे कई कदम उठाए गए...
More »हर साल वातावरण में प्रवेश कर रही 200 करोड़ टन धूल और रेत, चौथाई के लिए जिम्मेवार इंसानी गतिविधियां
डाउन टू अर्थ, 17 नवम्बर हवा में मौजूद जिस धूल और रेत को हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं, वो अपने आप में एक बड़ी समस्या बन चुकी है। यूएनसीसीडी रिपोर्ट से पता चला है कि हर साल 200 करोड़ टन धूल और रेत हमारे वातावरण में प्रवेश कर रही है। तादाद में यह कितनी ज्यादा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस धूल और रेत...
More »