- द प्रिंट, अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीयों की संख्या में पिछले शैक्षणिक वर्ष की तुलना में 2020-21 में लगभग 13 प्रतिशत की कमी आई है. अंतरराष्ट्रीय शिक्षा संस्थान द्वारा सोमवार को जारी एक सालाना रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी अधिकारी कोरोना महामारी की वजह से संख्या में कमी के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. ‘ओपन डोर्स रिपोर्ट 2021’ के अनुसार अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए अमेरिका ‘पहली पसंद’ बना हुआ है और अभी...
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तिहाड़ जेल से नताशा और देवांगना के उम्मीद और प्रतिरोध के खत
-कारवां, फरवरी 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के संबंध में एक साल पहले महिला अधिकार संगठन पिंजरा तोड़ की सदस्य नताशा नरवाल और देवांगना कलिता को गिरफ्तार किया गया था. हाल ही में दोनों को दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत दे दी है. कलिता और नरवाल जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में क्रमशः महिला अध्ययन और ऐतिहासिक अध्ययन केंद्रों में डॉक्टरेट की छात्राएं हैं. वे 2019 के नागरिकता (संशोधन) अधिनियम...
More »कैसे कोरोना वायरस ने यूरोपीय देशों को भी राष्ट्रवाद का झंडा पकड़ा दिया है
-सत्याग्रह, यूरोपीय संघ का विशेष कोरोना शिखर सम्मेलन इसके ब्रसेल्स स्थित मुख्यालय में शुक्रवार 17 जुलाई को शुरू हुआ था. अगले ही दिन उसे समाप्त हो जाना था. पर चला दो के बदले पांच दिन. पूरे 90 घंटे. संघ के 27 सदस्य देशों के राष्ट्रपतियों-प्रधानमंत्रियों के बीच राष्ट्रीय स्वार्थों का टकराव ऐसा था कि तीन दिनों तक गतिरोध बना रहा. यहां तक कि उनके बीच अच्छी-ख़ासी गर्मा-गर्मी भी रही. कई बार लगा...
More »कोरोना के बीच सरकारी वादे और जल संकट
-वाटर पोर्टल, पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस की चपेट में है। तीन लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं, जबकि 15 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। चीन, इटली, यूएसए, स्पेन आदि विकसित देश कोरोना के प्रकोप से बूरी तरह प्रभावित हैं। इटली ने लगभग हार ही मान ली है। तो वहीं पाकिस्तान में भी अब कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। भारत में भी कोरोना...
More »फैक्ट चैक : कोरोनावायरस लॉकडाउन में मोदी सरकार के दस बड़े झूठ
-कारवां, 24 मार्च को जब केंद्र सरकार ने नोवेल कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की तो सरकार के प्रतिनिधियों और मंत्रियों ने अपनी राजनीति को सही ठहराने और आलोचना से पल्ला छुड़ाने के लिए जनता के बीच लगातार आधी-अधूरी और झूठी बातें प्रचारित की. अधिकारियों ने जो दावे किए उनमें से कई जमीनी रिपोर्टों से मेल नहीं खाते. देश के कई हिस्सों में भूख और भुखमरी...
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