बाबा मायाराम, पालक्काड़ “हम जल, जंगल और जंगली जानवरों का संरक्षण करने के साथ-साथ आदिवासियों की आजीविका को भी बचाने की कर रहे हैं। जंगल से हम उतना ही लेते हैं, जितनी जरूरत होती है। जंगली जानवरों के लिये को उनके पसंद के फल, फूल, पत्ते और कंद छोड़ देते हैं; जिससे वे भी जिये और जंगल की जैव-विविधता भी बनी रहे।” यह मंजू वासुदेवन थीं, केरल के त्रिचूर जिले में ‘फॉरेस्ट...
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मॉनसून में देरी: खरीफ फसलों की बुआई पर दिखा असर, 2021 के मुकाबले 30 फीसदी कम हुआ रकबा
डाउन टू अर्थ, 26 जून मॉनसून में देरी का असर खरीफ फसलों पर बुरी तरह से पड़ा है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि 23 जून 2023 तक देश में 129.53 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई हो चुकी है, जो पिछले साल के मुकाबले लगभग 6.12 लाख हेक्टेयर कम है, लेकिन चूंकि पिछले साल भी जून के महीने में मॉनसून देरी से आया था, इसलिए...
More »थोक महंगाई शून्य से नीचे आई, 34 महीने बाद निचले स्तर पर पहुंची
रूरल वॉयस, 15 मई खाद्य उत्पादों, खनिज तेलों, बुनियादी धातुओं की कीमतों में गिरावट के चलते लगभग तीन वर्षों में पहली बार थोक महंगाई घटकर शून्य से नीचे पहुंच गई है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल में थोक मूल्य आधारित महंगाई की दर गिरकर (-) 0.92 फीसदी पर पहुंच गई। मार्च में थोक महंगाई 1.34 फीसदी थी। जून 2020 के बाद...
More »खाद्य तेलों के भारी आयात से किसानों का बुरा हाल, सरसों एमएसपी से 1000-1200 रुपये प्रति क्विंटल नीचे बिक रहा
रूरल वॉयस, 07 मई एक तरफ सरकार खाद्य तेलों के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाना चाहती है और इसके लिए विशेष सरसों अभियान चला रही है ताकि सरसों का बुवाई रकबा और उत्पादन बढ़े, दूसरी तरफ खाद्य तेलों के बेधड़क आयात की छूट दे रखी है। इससे सरसों किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। देशभर की तमाम मंडियों में सरसों के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,450 रुपये...
More »अन्य फसलों की तुलना में दालों की पैदावार लाभ दिखाने में विफल क्यों रही है
द वायर, 26 अप्रैल भारत दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है और आयातक भी. भारत बड़ी मात्रा में दालों और खाद्य तेलों का आयात करता है, जिनका घरेलू स्तर पर आसानी से उत्पादन किया जा सकता है. कम घरेलू उत्पादन के कारण दालों की आयात मात्रा 9.44 प्रतिशत बढ़कर फसल वर्ष 2021-22 के दौरान लगभग 27 लाख टन हो गई, जो 2020-21 में 24.66 लाख टन थी. अपर्याप्त आपूर्ति...
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