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थोक महंगाई शून्य से नीचे आई, 34 महीने बाद निचले स्तर पर पहुंची

रूरल वॉयस, 15 मई खाद्य उत्पादों, खनिज तेलों, बुनियादी धातुओं की कीमतों में गिरावट के चलते लगभग तीन वर्षों में पहली बार थोक महंगाई घटकर शून्य से नीचे पहुंच गई है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल में थोक मूल्य आधारित महंगाई की दर गिरकर (-) 0.92 फीसदी पर पहुंच गई। मार्च में थोक महंगाई 1.34 फीसदी थी। जून 2020 के बाद...

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खाद्य तेलों के भारी आयात से किसानों का बुरा हाल, सरसों एमएसपी से 1000-1200 रुपये प्रति क्विंटल नीचे बिक रहा

रूरल वॉयस, 07 मई एक तरफ सरकार खाद्य तेलों के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाना चाहती है और इसके लिए विशेष सरसों अभियान चला रही है ताकि सरसों का बुवाई रकबा और उत्पादन बढ़े, दूसरी तरफ खाद्य तेलों के बेधड़क आयात की छूट दे रखी है। इससे सरसों किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। देशभर की तमाम मंडियों में सरसों के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,450 रुपये...

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अन्य फसलों की तुलना में दालों की पैदावार लाभ दिखाने में विफल क्यों रही है

द वायर, 26 अप्रैल भारत दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है और आयातक भी. भारत बड़ी मात्रा में दालों और खाद्य तेलों का आयात करता है, जिनका घरेलू स्तर पर आसानी से उत्पादन किया जा सकता है. कम घरेलू उत्पादन के कारण दालों की आयात मात्रा 9.44 प्रतिशत बढ़कर फसल वर्ष 2021-22 के दौरान लगभग 27 लाख टन हो गई, जो 2020-21 में 24.66 लाख टन थी. अपर्याप्त आपूर्ति...

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सरसों के भाव एमएसपी से नीचे आए, खाद्य तेलों के रिकॉर्ड आयात का दाम पर पड़ रहा असर, पामोलिन पर ड्यूटी बढ़ाने की मांग

रूरल वॉयस, 2 मार्च आलू और प्याज के बाद अब सरसों के भाव किसानों के लिए परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं। मंडियों में सरसों की आवक तेज होते ही कीमतें घटने लगी हैं। देश की ज्यादातर मंडियों में नई सरसों का भाव 2022-23 के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,450 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे चल रहा है। रिकॉर्ड रकबे में बुवाई होने की वजह से पैदावार रिकॉर्ड स्तर पर...

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राजनीतिक और आर्थिक परिदृष्य पर किसान लॉबी की वापसी

-रूरल वॉइस,  गुरू पर्व के मौके पर 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन विवादास्पद कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा करने के साथ ही यह बात अब साफ हो गई है कि देश के राजनीतिक और आर्थिक परिदृष्य पर किसान लॉबी की वापसी हो गई है। आने वाले दिनों में राजनीति की दिशा के साथ ही आर्थिक नीतियों पर भी इसका असर देखने को मिलेगा। 1991 की आर्थिक उदारीकरण...

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