डाउन टू अर्थ, 26 मार्च दिल्ली से लेकर देश के सूखाग्रस्त इलाकों में भी भूजल निकालकर आरओ प्लांट्स के जरिए पानी फिल्टर करने की होड़ चल पड़ी है। इसमें अनगिनत प्लांट्स ऐसे हैं जिनके पास किसी तरह की अनुमतियां नहीं हैं और न ही वे भारत मानक ब्यूरो के दायरे में ही आते हैं। दिल्ली ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार में ऐसे कई जिले हैं जहां एक...
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सर्दियों में उत्तर और पूर्वी भारत रहे सबसे प्रदूषित, राजस्थान-बिहार के छोटे शहर नए हॉटस्पॉट बने
डाउन टू अर्थ, 21 मार्च जैसे ही सर्दी शुरू हुई, जहरीले वायु प्रदूषण के बढ़ने से एक बार फिर लोगों के स्वास्थ्य पर असर डाला। सितंबर-अक्टूबर में कम बारिश और सर्दी के पूरे मौसम में धीमी हवाओं जैसे मौसम संबंधी कारकों के कारण वायु प्रदूषण में वृद्धि हुई। दिल्ली स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट ने सर्दियों की वायु गुणवत्ता की समीक्षा के बाद रिपोर्ट जारी की है। जिसमें काफी...
More »नाइट्रोजन प्रदूषण से बढ़ता जल संकट, भारत में पहले ही गंभीर रूप ले चुकी समस्या
डाउन टू अर्थ, 09 फरवरी एक नए अध्ययन से पता चला है कि बढ़ते नाइट्रोजन प्रदूषण के चलते अगले 26 वर्षों में दुनिया भर में पानी की भारी किल्लत हो सकती है। वैज्ञानिकों का अंदेशा है कि 2050 तक वैश्विक स्तर पर नदियों के एक तिहाई उप-बेसिनों को नाइट्रोजन प्रदूषण के चलते साफ पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है। शोधकर्ताओं ने चेताया है कि पानी की यह कमी...
More »भागलपुर, सहरसा में गैस चैम्बर से हुए हालात, दिल्ली में भी 400 के करीब पहुंचा एक्यूआई
डाउन टू अर्थ, 01 फरवरी भागलपुर-सहरसा में बढ़ता प्रदूषण आपात स्थिति में पहुंच गया है। इन दोनों शहरों में हालात यह है कि लोगों के लिए सांस लेना तक दुश्वार हो गया है। ऐसा लगता है कि वो किसी गैस चैम्बर में रह रहे हैं। भागलपुर में बढ़ते प्रदूषण का आलम यह है कि वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 432 पर पहुंच गया है। इसी तरह सहरसा में भी एक्यूआई...
More »प्रदूषण रहित ईंधन से चलने वाले चूल्हों के नाम पर हो रहा है खेल: रिपोर्ट
डाउन टू अर्थ, 30 जनवरी रिसर्च से पता चला है कि क्लीन कुकस्टोव के जलवायु पर पड़ते सकारात्मक प्रभावों को परियोजनाएं 10 गुना बढ़ा चढ़ाकर बता रही हैं, ऐसे में अध्ययन का दावा है कि कमजोर तबके को जहरीले धुएं से बचाने की यह लोकप्रिय योजना, उत्सर्जन के त्रुटिपूर्ण आंकलन के चलते कमजोर हो रही है। गौरतलब है कि कमजोर देशों में खाना पकाने के साफ-सुथरे साधनों के लिए जद्दोजहद करते लोगों...
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