खंडवाः मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में रविवार को ग्रामीणों ने गो-तस्करी के आरोप में 25 लोगों को पकड़कर उन्हें रस्सी से बांधा और थाने तक ले जाते हुए उनसे गोमाता की जय के नारे लगवाए. रस्सी से उन सभी के हाथ बांधकर उन्हें करीब दो किलोमीटर तक लाठी-डंडों से खदेड़कर खालवा पुलिस थाने ले गए. बाद में इन सभी कथित गो-तस्करों को उन्होंने पुलिस के हवाले कर दिया. यह घटना खंडवा...
More »SEARCH RESULT
मौत के बाद भी ‘दुधारू’ रह जाती है गाय-- प्रेम कुमार
दुधारू गाय की हत्या की बात सोचना भी पाप है. जो गाय दूध, दही, मिठाइयां, पनीर, खीर से लेकर गोबर, गोमूत्र देने और खेती-किसानी में काम आती हैं, घर के सदस्य जैसी होती हैं, घर की आमदनी होती है उस गाय को कोई मारे तो यह उसकी मूर्खता होगी. सवाल ये है कि फिर ऐसी मूर्खता हो क्यों रही है? गाय पर निर्भर लोग नहीं सोचते गोकशी की बात जो लोग...
More »'वह' बनाम 'यह' के बीच पिसते 'हम' - एनके सिंह
आजादी के बाद से शायद पहली बार देश में इतना जबरदस्त कंफ्यूजन है। तीन स्पष्ट खेमों में समाज बंट गया है। कुछ इस खेमे में हैं तो कुछ उस। सामूहिक सोच या तो राष्ट्रवाद की नई परिभाषा के साथ खड़ी है या देश को बहुमत के दुराग्रहों से निजात दिलाने वालों के साथ। एक लकीर खींच दी गई है यह कहते हुए कि रेखा के उस पार तुम्हारा और इस...
More »प्राकृतिक खेती से पटखनी खाती आधुनिक खेती
मैं महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में कृषि कार्य करता हूं. वहां 1975 से आज तक मैं खेती कर रहा हूं. 1960 के बाद जो खेती में व्यवस्थाएं प्रारंभ हुईं, वहीं से मैंने शुरु आत की थी. अब तक मुझे कृषि विज्ञान दो स्वरूपों में दिखा है. जब मैंने खेती प्रारंभ की तो उस समय परावलंबन का विज्ञान था. उस वक्त मैंने रासायनिक खाद, जहरीली दवाईयां और बाहर से बीज लाकर खेती...
More »प्राकृतिक खेती से पटखनी खाती आधुनिक खेती- सुभाष शर्मा
मैं महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में कृषि कार्य करता हूं. वहां 1975 से आज तक मैं खेती कर रहा हूं. 1960 के बाद जो खेती में व्यवस्थाएं प्रारंभ हुईं, वहीं से मैंने शुरु आत की थी. अब तक मुझे कृषि विज्ञान दो स्वरूपों में दिखा है. जब मैंने खेती प्रारंभ की तो उस समय परावलंबन का विज्ञान था. उस वक्त मैंने रासायनिक खाद, जहरीली दवाईयां और बाहर से बीज लाकर खेती...
More »