-इंडियास्पेंड, तमाम परेशानियों के बावजूद शाहिद कुरैशी की सुरमा लगी आंखों में उम्मीदों के कुछ निशान अभी बाकी थे। यह जानते हुए भी कि वह अब कभी अपने पुराने काम पर नहीं लौट पाएंगे। पूर्वी बेंगलुरु के टेनरी रोड के बूचड़खाने में दशकों से उनके हाथ मांस के इस मुश्किल और मेहनत से भरे काम को अंजाम देते आ रहे थे। काम करते-करते उनकी हथेलियां सख्त और खुरदरी हो गईं हैं। ये...
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'वह' बनाम 'यह' के बीच पिसते 'हम' - एनके सिंह
आजादी के बाद से शायद पहली बार देश में इतना जबरदस्त कंफ्यूजन है। तीन स्पष्ट खेमों में समाज बंट गया है। कुछ इस खेमे में हैं तो कुछ उस। सामूहिक सोच या तो राष्ट्रवाद की नई परिभाषा के साथ खड़ी है या देश को बहुमत के दुराग्रहों से निजात दिलाने वालों के साथ। एक लकीर खींच दी गई है यह कहते हुए कि रेखा के उस पार तुम्हारा और इस...
More »भारत में हर साल बढ़ रही है बीफ की खपत
मल्टीमीडिया डेस्क। देश में गौमांस को लेकर जारी विवाद तथा राजनीति के बीच राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) के ताजा आंकड़े कुछ और ही कहानी कह रहे हैं। सांख्यिकी विभाग और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अधीन आने वाले एनएसएसओ के आंकड़ों के अनुसार, भारत में बीफ की खपत लगातार बढ़ रही है। रिपोर्ट कहती है कि भारत के ग्रामीण तथा शहरी इलाकों में बीफ को प्रोटीन के प्रमुख स्रोत के रूप में...
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