डाउन टू अर्थ, 18 अप्रैल स्वच्छ जल के बिना एक स्वस्थ और सुखद जीवन की कल्पना करना असंभव है। चाहे केंद्र हो या राज्य, ग्रामीण समुदायों तक पानी पहुंचाना हर नई सरकार की प्राथमिकता रही है। हालांकि अनुभव से पता चलता है कि भले ही पानी की सुविधा कई गांवों में “उपलब्ध” हो गई है, लेकिन ऐसे गांवों की संख्या भी बढ़ी है, जहां पानी फिर से “अनुपलब्ध” हो चुका है। दरअसल जलापूर्ति...
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शोषण से मुनाफा: निजी क्षेत्र में जबरन मजदूरी से हो रहा सालाना 20 लाख करोड़ का अवैध मुनाफा
मोंगाबे हिंदी, 21 मार्च क्या आप जानते हैं कि दुनिया में करीब 2.76 करोड़ लोग हर दिन जबरन मजदूरी करने को मजबूर हैं। मतलब कि प्रति हजार लोगों पर 3.5 लोग वो हैं जो आधुनिक दासता के इस दलदल में फंसे हैं। यह जानकारी अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) द्वारा जारी नई रिपोर्ट 'प्रोफिट्स एंड पावर्टी: द इकोनॉमिक्स ऑफ फोर्स्ड लेबर' में सामने आई है। आंकड़ों के मुताबिक जबरन मजदूरी के हर 10...
More »क्या एम.एस.पी की मांग सिर्फ एक चुनावी नाटक है ?
वर्ष 2020 में केंद्र सरकार ने किसानों से जुड़े मसलों पर तीन कानून बनाएँ। जिसका किसानों ने भारी विरोध किया। दिल्ली की सरहदों पर डेरा डाला। करीब 13 महीनों की रस्सा-कशी के बाद समाधान का रास्ता निकला। केंद्र सरकार ने तीनों कानूनों को निरस्त कर दिया। किसानों ने धरना/आन्दोलन ख़त्म कर दिया। किसान अपने-अपने घरों की ओर लौट गए। करीब दो वर्ष बाद, एक बार फिर किसान दिल्ली की ओर...
More »भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं पर सवालिया निशान लगातीं नई कोयला खदानें
द थर्ड पोल, 19 फरवरी भारत के पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने 9 दिसंबर को कॉप-28 के दौरान, उत्सर्जन कटौती में देश की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए पेरिस समझौते के प्रति देश के “भरोसे और विश्वास” की पुष्टि की। लेकिन यह घोषणा महज तीन दिन पहले की गई एक अन्य घोषणा के उलट दिखाई देती है, जब कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा था कि भारत, जीवाश्म...
More »एमएसपी की कानूनी गारंटी- खाद्य सुरक्षा और किसान की जीवन रेखा
डाउन टू अर्थ, 19 फरवरी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की अनुशंसा केंद्र सरकार द्वारा की जाती है। इसका उद्देश्य किसानों को उनकी कृषि उपज के लिए न्यूनतम लाभकारी मूल्य दिलाना, बाजार में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करके उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना और देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है। एमएसपी की शुरुआत 1966-67 में की गई थी, जब भारत में खाद्य पदार्थों की भारी कमी थी। तब सरकार ने घरेलू खाद्यान्न...
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