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जलवायु संकट: जलवायु रिकॉर्ड का सबसे गर्म वर्ष होगा 2024, वैज्ञानिकों ने जताई 55 फीसदी आशंका

डाउन टू अर्थ, 18 अप्रैल  इस बात की 55 फीसदी आशंका है कि 2024 जलवायु रिकॉर्ड का सबसे गर्म साल होगा। वहीं 2024 के पांच सबसे गर्म वर्षों में शुमार होने की 99 फीसदी आशंका है। यह जानकारी नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल इंफॉर्मेशन (एनसीईआई) द्वारा जारी नई रिपोर्ट में सामने आई है। गौरतलब है कि कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) के बाद अब एनओएए ने...

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जलवायु संकट से सुरक्षा मौलिक अधिकार: सुप्रीम कोर्ट और यूरोपीय अदालत के दो बड़े फैसले

कार्बनकॉपी, 16 अप्रैल एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने मौलिक अधिकारों का दायरा बढ़ाते हुए, जलवायु परिवर्तन के हानिकारक प्रभावों से सुरक्षा के अधिकार को भी उनमें शामिल कर लिया है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की एक बेंच ने ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (जीआईबी) के संरक्षण पर एक याचिका की सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया। क्या था मामला ग्रेट इंडियन बस्टर्ड मुख्य रूप से राजस्थान...

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देशभर में नदियों को जीवित ईकाई मान्यता देने की मांग, सभी राजनीतिक पार्टियों को भेजा गया मसौदा

डाउन टू अर्थ, 05 अप्रैल लोकसभा 2024 को चुनावी एजेंडे में पर्यावरण के मुद्दे को प्राथिमकता में लाने के लिए जन आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वय ने सभी राजनीतिक दलों और उनके सांसदों  को अपने-अपने चुनावी घोषणा पत्र में पीपुल्स रिवर प्रोटेक्सन बिल को शामिल करने की मांग उठाई है।  एक ऑनलाइन प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जन आन्दोलन के राष्ट्रीय समन्वय की नेत्री मेधा पाटकर ने कहा कि  ‘2024 के लोकसभा चुनावों के...

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नाइट्रोजन प्रदूषण से बढ़ता जल संकट, भारत में पहले ही गंभीर रूप ले चुकी समस्या

डाउन टू अर्थ, 09 फरवरी एक नए अध्ययन से पता चला है कि बढ़ते नाइट्रोजन प्रदूषण के चलते अगले 26 वर्षों में दुनिया भर में पानी की भारी किल्लत हो सकती है। वैज्ञानिकों का अंदेशा है कि 2050 तक वैश्विक स्तर पर नदियों के एक तिहाई उप-बेसिनों को नाइट्रोजन प्रदूषण के चलते साफ पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है। शोधकर्ताओं ने चेताया है कि पानी की यह कमी...

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कॉप28 ने अपनाया हानि और क्षति फंड, लेकिन प्रस्तावित राशि काफी कम

मोंगाबे हिंदी, 3 दिसम्बर  जलवायु परिवर्तन के टाले ना जा सकने वाले प्रभावों का सामना कर रहे कमजोर देशों की जरूरतों पर एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, वार्षिक संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन 30 नवंबर को असाधारण रूप से सकारात्मक तरीके से शुरू हुआ। पार्टियों के 28वें सम्मेलन (कॉप28) ने जलवायु संकट से होने वाले नुकसान और क्षति को संबोधित करने के लिए समर्पित एक फंड लॉन्च किया। यह फंड विकासशील...

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